हर हाल में दिलाएंगे 26/11 के पीड़ितों को न्यायः अमेरिका
26 नवंबर, 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के दोषियों को न्याय के दायरे में लाने में हो रही देरी के बारे में पूछे जाने पर दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, हमने पीड़ितों की ओर से न्याय मांगने के भारत के प्रयासों के प्रति अपना सहयोग और प्रतिबद्धता दोहराई है। निशा भारतीय महावाणिज्य दूतावास के कल मीडिया-इंडिया लेक्चर सीरीज में व्याख्यान देने के लिए वाशिंगटन से न्यूयार्क आई थीं।
उन्होंने कहा कि इस हमले में केवल भारतीय ही नहीं बल्कि अमेरिकियों ने भी अपनी जान गंवाई थी। निशा ने कहा, हम उन सभी पीडि़तों की ओर से न्याय की मांग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम क्षेत्र के देशों और सभी संबंधित अधिकारियों के साथ हमारी चर्चाओं के दौरान इस मुद्दे पर जोर देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि 160 लोगों की जान लेने वाले और कई अन्य को घायल करने वाले इस भीषण आतंकवादी हमले के बाद करीब सात साल गुजर जाने के मद्देनजर पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम एक दुष्कर और लंबी प्रक्रिया प्रतीत हो सकता है। निशा ने कहा, यह आसान रास्ता नहीं है और इस प्रकार के हमलों में यह रास्ता कभी आसान नहीं रहा है। न्याय का रास्ता कभी-कभी बहुत लंबा और दुष्कर होता है लेकिन हम इसे पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, फिर भले ही यह यात्रा कितनी भी लंबी क्यों न हो और यह काम कितना भी दुष्कर क्यों न हो।
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने मुंबई हमलों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ अभियोग में मददगार सूचना देने वाले को अपनी ओर से पुरस्कार देने की पेशकश की है। उन्होंने 27 जुलाई को पंजाब के गुरदासपुर जिले में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और गहरी चिंता जताई है। निशा ने कहा कि अमेरिका ने इस घटना के किसी विशेष पहलू पर भारतीय अधिकारियों के साथ सहयोग की भावना व्यक्त की है। उन्होंने कहा, लेकिन बड़ा मुद्दा हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सूचना एजेंसियों और हमारी सरकारों के बीच सहयोग एवं क्षेत्र में हमारी साझेदारी बढ़ाने और मजबूत करने का है ताकि आतंकवाद और कट्टरवाद की बड़ी समस्याओं से निपटा जा सके।
गुरदासपुर हमले में तीन आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए गए नाइट विजन डिवाइस पर अमेरिकी चिह्न होने संबंधी मीडिया खबरों के बारे में निशा ने कहा कि अमेरिका भारतीय अधिकारियों से संपर्क करके यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि यह उपकरण कहां बने हैं। उन्होंने कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया है और अमेरिका भारत के साथ मिलकर काम कर रहा है। इससे पूर्व निशा से अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को मुहैया कराए गए उन हथियार संबंधी चिंताओं के बारे में पूछा गया जिनका अंतत: भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अमेरिका ने विश्व भर में कई लोगों की जान लेने वाले आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के विरोध के संबंध में बहुत कड़ा रुख अपनाया है।