अमेरिका भारत में छह परमाणु संयंत्रों के निर्माण में मदद करेगा
मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि परमाणु संयंत्रों की निर्माण का काम तुरंत शुरू होगा। भारत ने परमाणु दायित्व मुद्दे को संबोधित किया है और अब रिएक्टर की स्थापना की तैयारियां होनी है। दोनों देश इस अनुबंधात्मक व्यवस्था को जून 2017 तक पूरा करने की दिशा में काम करेंगे। परियोजना पूरा होने के बाद अपनी तरह की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक होगी और इससे भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करेगी।
वियाना में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की प्रस्तावित बैठक से पहले इसकी सदस्यता हासिल करने में भारत की कोशिशों को अमेरिका के समर्थन से और बल मिला है। अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय ओवल हाउस में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने अमेरिका के भारत को एनएसजी तथा मिसाइल प्रौद्योगकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में सदस्यता के लिये मदद एवं समर्थन के लिये अपने ‘मित्र’ओबामा के प्रति आभार व्यक्त किया।
मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका परमाणु सुरक्षा, ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ओबामा से असैन्य परमाणु सहयोग पर हुई प्रगति और अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। ओबामा ने कहा कि भारत-अमेरिका का सहयोग विकसित देशों के लिए भी मददगार होगा और दोनों देश भविष्य में भी साथ मिल कर काम करेंगे।
मोदी और ओबामा के बीच एनएसजी और एमटीसीआर का समझौता ऐसे समय में हुआ है जब एनएसजी की नौ जून को वियाना और फिर 24 जून को सोल में महत्वपूर्ण बैठक होनी है। एमटीसीआर में भारत के शामिल होने की घोषणा किसी भी समय होने की संभावना है। जयशंकर ने कहा कि दोनों नेता सुरक्षा मुद्दे पर समन्वय बनने के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने पर भी सहमत हुए, जिसमें‘ रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई)’के तहत मेक इन इंडिया कार्यक्रम में अमेरिकी कंपनियां भाग लेंगी।