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08 June 2016

अब हम ब्रह्मोस जैसी उच्च तकनीकी मिसाइलें बेच सकेंगे और ड्रोन खरीद सकेंगे

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भारत के इस समूह में शामिल होने से अमेरिका से ड्रोन विमान खरीदने तथा अपने उच्च प्रौद्योगिकी वाले प्रक्षेपास्त्रों का मित्र देशों को निर्यात करने के प्रयासों को बल मिलेगा। एमटीसीआर की घोषणा के बाद भारत और अमेरिका भारतीय सेना को प्रीडेटर श्रृंखला के मानवरहित विमान बेचने से जुड़ी अपनी चर्चा को तेज कर सकते हैं। 

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एमटीसीआर और तीन अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्था- ऑस्ट्रेलिया समूह, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और वासेनार समझौते में भारत की सदस्यता का कड़ा समर्थन किया था। वहीं भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनने के मामले में ओबामा प्रशासन फिलहाल सब अच्छा रहने की ही कामना कर रहा है। चीन इस समूह में भारत की सदस्यता का हमेशा की तरह मुखर विरोध कर रहा है। वह इस पर आम राय कायम करने की बात कह रहा है। 
1987 में अस्तित्‍व में आई एमटीसीआर का उद़देश्‍य उन बैलिस्टिक मिसाइलों और दूसरे ऐतिहासिक आपूर्ति तंत्रों के प्रसार को सीमित करना है, जिनका इस्तेमाल रासायनिक, जैविक और परमाणु हमलों के लिए किया जा सकता है। एमटीसीआर अपने 34 सदस्यों से अपील करता है कि 500 किलोग्राम के पेलोड को कम से कम 300 किलोमीटर तक ले जा सकने वाली मिसाइलों और संबधित प्रौद्योगिकियों को और सामूहिक तबाही वाले किसी भी हथियार की आपूर्ति बंद करें। 

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TAGS: एमटीसीआर, अमेरिका, भारत, ड्रोन, मिसाइल, india, america, mtcr, drone, missile, brahmos
OUTLOOK 08 June, 2016
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