ओरलैंडो गोलीबारी के दौरान भारतीय मूल के मरीन ने बचाई कई लोगों की जान
पल्स नाइटक्लब के 24 वर्षीय बाउंसर इमरान युसुफ को रविवार तड़के गोलियों की आवाज सुनाई दी। युसुफ ने सीबीएस न्यूज से कहा, शुरू में तीन चार गोलियां चलने की आवाज आई। यह स्तब्ध कर देने वाला था। तीन चार गोलियां चलीं और आप कह सकते हैं कि यह उच्च क्षमता की थी। पिछले ही महीने मरीन कोर छोड़ चुके पूर्व सार्जेंट युसुफ ने कहा कि इसी समय उनका मरीन कोर प्रशिक्षण काम आया।
उसने कहा, सभी लोग ठिठक गए थे। मैं यहां पीछे था ओर मैंने देखा कि लोग पिछले कॉरीडोर में इकट्ठा हो रहे थे और जगह ठसाठस भर गई। युसुफ को पता था कि इन डरे-सहमे हुए लोगों के पीछे एक दरवाजा था। लेकिन किसी को उसे खोलना था। उसने कहा, मैं चिल्ला रहा था कि दरवाजा खोलो, दरवाजा खोलो लेकिन कोई आगे नहीं बढ़ रहा था क्योंकि सभी डरे हुए थे। उसने कहा, एक ही विकल्प था, कि हम सभी वहीं रहते और हम सभी मर जाते या फिर मैं जोखिम लूं। मैं दरवाजा खोलने के लिए लपका ओर हम सभी को वहां से निकाल पाए।
लोगों को बाहर निकलने का रास्ता बताकर युसूफ को अनुमान है कि उसने करीब 70 लेागों को नाइट क्लब से सुरक्षित बाहर निकाला। उसने कहा, काश मैं और लोगों को बचा पाता। सेवा अधिकारियों के अनुसार, युसुफ जून, 2010 से मई, 2016 तक मरीन कोर में इंजीनियर था। उसे 2011 में अफगानिस्तान में तैनात किया गया था। युसुफ का परिवार चार पीढ़ी पहले भारत से गुयाना आया था। वह हिंदु और मुसलमान दोनों धर्मों से ताल्लुक रखता है। उसके दादा मुसलमान थे और दादी एवं मां हिंदू थीं।