9/11 के 20 साल: आतंकी हमले की आशंका के बीच जो बाइडेन ने मारे गए लोगों को किया याद, कही ये बात
इतिहास में 11 सितंबर का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका पर इस दिन हुए घातक आतंकी हमले ने एक ऐसा जख्म दिया, जिसकी टीस दुनिया तक कायम रहेगी। आज इस हमले की 20वीं बरसी है और फिर 9/11 जैसे आतंकी हमले की आशंका के बीच राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्वीट कर अमेरिकियों को एक संदेश दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने ट्विटर पर पोस्ट एक वीडियो संदेश में कहा, "11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क सिटी, अर्लिंग्टन, वर्जीनिया और शैंक्सविले, पेनसिल्वेनिया में मारे गए 90 से अधिक देशों के 2,977 लोगों और हजारों लोगों के परिवारों के लिए, अमेरिका आपको और आपके प्रियजनों को याद करता है।"
साथ ही उन्होंने कहा कि यह त्रासदी इस बात को उजागर करती है कि कैसे सबसे कमजोर स्थिति में भी एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। बाइडेन ने उन बलों की भी सराहना की जिन्होंने हमलों में और बाद में अपनी जान जोखिम में डाली और अपनी जान गंवा दी।
उन्होंने कहा, “हम अग्निशमनकर्मियों, पुलिस अधिकारियों, ईएमटी और निर्माण श्रमिकों, डॉक्टरों और नर्सों, सेवा सदस्यों और उन सभी लोगों का सम्मान करते हैं जिन्होंने बचाव, पुनर्प्राप्ति और पुनर्निर्माण के लिए अपना सब कुछ दिया।“
गौरलतब है कि ब्रिटेन ने तालिबान से वैसे ही हमले के खतरे का अंदेशा जताया है। ये चेतावनी ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई-5 के प्रमुख केन मैक्कलम ने दी है। उन्होंने कहा है कि तालिबान राज में आतंकवाद बढ़ सकता है। 9/11 जैसे आतंकी हमले फिर हो सकते हैं।
इस हमले की बरसी पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने बयान जारी किया और आतंकवाद को हर तरह से रोकने और मुकाबला करने की प्रतिबद्धता दोहराई। वहीं, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति न्यूयॉर्क के ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 9/11 स्मारक हमें आतंकवाद से लड़ने और सामूहिक संकल्प की याद दिलाता है।
बता दें कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका को अपने इतिहास के सबसे घातक आतंकवादी हमले का सामना करना पड़ा था। आतंकी हमलों में 3,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। अल कायदा के आतंकियों द्वारा विमानों के अपहरण के 102 मिनट में ही न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टावर ढह गए थे। इसे अमेरिका के इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमले के तौर पर देखा जाता है।