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20 November 2015

अमेरिका में मुस्लिमों पर कड़ी निगरानी चाहता है राष्ट्रपति पद का यह दावेदार

गूगल

ट्रंप ने कल एनबीसी न्यूज को बताया, मैं निश्चित तौर पर यह व्यवस्‍था लागू करूंगा। ट्रंप यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि  डेटाबेस से इतर भी बहुत सी व्यवस्थाएं होनी चाहिए।

टंप ने याहू न्यूज को बताया, हम बहुत सी चीजों पर बहुत करीब से निगाह रखने जा रहे हैं। हम मस्जिदों पर निगाह रखने जा रहे हैं। हमें बहुत, बहुत सावधानी से देखना होगा। ट्रंप का मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए अमेरिका के मुस्लिमों पर अभूतपूर्व निगरानी जरूरी होगी।

वरिष्ठ रिपब्लिकन नेता से जब पूछा गया कि क्या पहले से अधिक निगरानी में बिना वारंट के तलाशियां भी शामिल हो सकती हैं, तो उन्होंने कहा, हम ऐसी चीज करने जा रहे हैं, जो हमने पहले कभी नहीं की। कुछ लोग इसे लेकर नाराज होंगे लेकिन मेरा मानना है कि अब हर कोई यही सोच रहा है सुरक्षा सर्वोच्च होनी चाहिए। ट्रंप ने कहा, कुछ ऐसी भी चीजें की जाएंगी जो हमने कभी सोचा भी नहीं होगा कि इस देश में होंगी। ये चीजें दुश्मन से जुड़ी सूचनाओं और जानकारी को लेकर होंगी। हम ऐसी चीजें करेंगे जो एक साल पहले तक सोची भी नहीं जा सकती थीं।

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अमेरिका में मुस्लिम नागरिक अधिकारों के सबसे बड़े संगठन काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन्स (सीएआईआर) ने प्रमुख रिपब्लिकन उम्मीदवारों की इस्लाम का डर पैदा करने वाली और असंवैधानिक टिप्पणियों की निंदा की है। सीएआईआर ने विशेष पहचानपत्रों और अमेरिकी मुस्लिमों की निगरानी के लिए एक डेटाबेस की बात खारिज न करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप की निंदा की है।

ट्रंप की टिप्पणियों से अमेरिका में सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया है। डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के प्रमुख डेबी वासेरमैन शुल्ट्ज ने एक बयान में कहा, डोनाल्ड ट्रंप की ओर से मुस्लिम-अमेरिकी डेटाबेस और विशेष पहचानों को लेकर दिखाई गई उन्मुक्तता शर्मनाक हैं। यह आज की रिपब्लिकन पार्टी की गैर समावेशी संस्कृति को दर्शाती है। यह एक ऐसी खतरनाक सोच है, जिससे हमारी महानतम पीढ़ी लड़ी थी और सात दशक पहले उसे हरा दिया था।

शुल्ट्ज ने कहा, ट्रंप को यह प्रस्ताव देने के लिए शर्मिंदा होना चाहिए कि अमेरिका एक ऐसी जगह हो सकती है, जहां जनसमूह को इकट्ठा किया जाता है और उनका वर्गीकरण उनके धर्म के आधार पर किया जाता है। हम अपनी राजनीतिक प्रक्रिया को डर से संचालित नहीं होने दे सकते। उन्होंने कहा, यह भाषा सिर्फ आक्रामक ही नहीं है- यह गैर-अमेरिकी, अहितकारी और खतरनाक है। इस तरह के बयान विश्वभर में अमेरिकी विश्वसनीयता को नष्ट करते हैं और आतंकी संगठनों के लिए नियुक्ति के औजारों के रूप में काम करते हैं। ये आतंकी संगठन इसे इस तरह से पेश करते हैं कि इस्लाम की पश्चिम के साथ एक धार्मिक लड़ाई चल रही है।

वैसे ट्रंप राष्ट्रपति पद के ऐसे पहले रिपब्लिकन दावेदार नहीं हैं, जिन्होंने मुस्लिम विरोधी बयान दिया है। भारतीय मूल के अमेरिकी नेता एवं लुइसियाना के गवर्नर बॉबी जिंदल भी इस मुद्दे पर मुखर रहे हैं जिसे वह इस्लामी आतंकवाद का नाम देते हैं। जिंदल राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की होड़ से हट गए हैं। इसके अलावा दो अन्य उम्मीदवारों- जेब बुश और टेड क्रूज ने सीरियाई गृहयुद्ध से आने वाले शरणार्थियों के धार्मिक परीक्षण करवाने का आह्वान किया था जबकि बेन कार्सन ने कहा कि किसी मुस्लिम-अमेरिकी को राष्ट्रपति नहीं बनने दिया जाना चाहिए।

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TAGS: अमेरिका, रिपब्लिकन पार्टी, राष्ट्रपति दावेदार, डोनाल्ड ट्रंप, मुस्लिम आबादी, मस्जिद, आतंकवाद, US Republican presidential candidate Donald Trump, Muslims, mosque, terrorism
OUTLOOK 20 November, 2015
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