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25 May 2016

भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों ने जताई चिंता

फाइल फोटो पीटीआई

अमेरिका कोलोराडो से सीनेटर कोरी गार्डनर ने सीनेट की विदेश मामलों की समिति द्वारा भारत के संबंध में बुलाई गई कांग्रेस सुनवाई में कहा, स्थिति भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चिंता उत्पन्न करती है। वर्जीनिया से सीनेटर टिम कैने ने धार्मिक असहिष्णुता की हालिया घटनाओं, जिनके विरोध में बुद्धिजीवियों-कलाकारों ने अपने पुरस्कार लौटाए थे, पर कहा कि वह इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अगले महीने उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान उठाए जाने की उम्मीद कर रहे हैं। कुछ राज्यों में धर्मांतरण रोधी कानूनों को समस्या करार देते हुए मैरीलैंड से सीनेटर एवं सीनेट की विदेश मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य बेन कार्डिन ने भी भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंता जताई।

 

इसके साथ ही कुछ अन्य सदस्यों ने भी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित अमेरिकी आयोग के सदस्यों को वीजा देने से इनकार करने का मुद्दा भी उठाया। सीनेटरों की चिंता से सहमति जताते हुए दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने कहा कि ओबामा प्रशासन जहां इन मुद्दों और चिंताओं को उच्चतम स्तर पर उठा रहा है तथा इस मुद्दे पर भारत से चर्चा कर रहा है, वहीं भारत की मुखर सिविल सोसाइटी खुद भी इस पर मजबूती से आवाज उठा रही है। बिस्वाल ने कहा, धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक सहिष्णुता के संबंध में भारत के भीतर जोरदार ढंग से बहस हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों की आवाज से अधिक मजबूत और कोई आवाज नहीं है जो इन मुद्दों पर जोर-शोर से उठ रही है।

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बिस्वाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, यह भारत के अखबारों की सुर्खियां हैं, जो आप इस मुद्दे पर अत्यंत सक्रिय चर्चा देख रहे हैं। मेरा मानना है कि ये मुद्दे, ये मूल्य हमें अति प्रिय हैं, जिन्हें हम वार्ता में उठाते हैं। लेकिन हम इसे जहां तक संभव हो एक रचनात्मक तरीके से करते हैं जिससे कि इस तथ्य की अनदेखी न हो कि ये वे मुद्दे हैं जिनसे भारतीयों को खुद निपटना चाहिए और अपने देश के लिए, लोकतंत्र के लिए, खुद के समाज के लिए अधिकार हासिल करना चाहिए। बिस्वाल ने कहा, अमेरिका में हमारे पास साझा करने के लिए अनुभव हैं, उदाहरण हैं, परंपरा है। लेकिन हम चाहते हैं कि यह इस तरीके से हो जिससे इस तथ्य का सम्मान हो कि इस लोकतंत्र के पास अत्यंत मुखर सिविल सोसाइटी और मीडिया तथा राजनीतिक दल प्रणाली है जो खुद भी इस अधिकार को हासिल करने की कोशिश कर रही है। कार्डिन ने आरोप लगाया कि महिलाओं और लड़कियों से व्यवहार के मामले में भारत का रिकॉर्ड ठीक नहीं है।

 

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OUTLOOK 25 May, 2016
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