ट्रंप ने 7 मुस्लिम देशों के नागरिकों का प्रवेश रोका, ईरान की जवाबी कार्रवाई
जिन सात देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर रोक लगाई गई है उनके नाम ईरान, इराक, सीरिया, लीबिया, यमन, सूडान और सोमालिया हैं। इसी के साथ ट्रंप ने अमेरिका के शरणार्थी पुनर्वास कार्यक्रम पर भी चार माह के लिए रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद अमेरिका में किसी भी देश के शरणार्थी प्रवेश नहीं कर सकेंगे। इन आदेशों का अमेरिका में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी और दुनिया के कई प्रमुख लोगों ने विरोध किया है। जबकि इस्लामिक आतंकी संगठनों को प्रश्रय देने वाले पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा है। उधर, ईरान ने भी अमेरिकियों के अपने यहां प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी के रूप में ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान ही कहा था कि राष्ट्रपति बनने पर वह अमेरिका में कट्टरपंथी मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाएंगे। उस समय भी उनका विरोध हुआ था। राष्ट्रपति के तौर पर पहली बार रक्षा मंत्रलय (पेंटागन) पहुंचे ट्रंप ने दोनों शासकीय आदेशों पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा, ये फैसले अमेरिकी नागरिकों को इस्लामिक आतंकवादियों के हमलों से बचाने के लिए किए हैं। ‘प्रोटेक्शन ऑफ द नेशन फ्रॉम फॉरेन टेररिस्ट एंट्री इन टू द यूनाइटेड स्टेट्स’ शीर्षक से जारी आदेश में कहा गया है कि 9/11 हमले के बाद उठाए गए कदम कट्टरपंथियों को अमेरिका में आने से नहीं रोक पाए। जिन विदेशियों ने वल्र्ड ट्रेड सेंटर और उसके बाद के आतंकी हमलों को अंजाम दिया, वे कट्टरपंथी अमेरिका में पर्यटन, पढ़ाई, नौकरी करने इत्यादि का वीजा लेकर आए थे। कुछ ऐसे भी थे जो अमेरिका के शरणार्थी सहायता कार्यक्रम का फायदा लेकर आए थे। ट्रंप ने कहा, हम ऐसे देशों के लोगों को अमेरिका में नहीं बुलाना चाहते जो विदेश में हमारे सैनिकों के लिए खतरा बने हुए हैं और उनसे लड़ रहे हैं। हम वल्र्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन के शहीदों को भूल नहीं सकते। सात देशों की रोक के अलावा अन्य देशों से अमेरिका आने वालों की कड़ी जांच की जाएगी। उनके आने का उद्देश्य स्पष्ट किया जाएगा। कुछ देशों के खास वर्गो को वीजा साक्षात्कार में छूट मिली हुई थी, उसे भी तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया गया है।1अमेरिका लौटने वालों में मची अफरातफरी : ट्रंप के नए शासकीय आदेश से विभिन्न देशों से अमेरिका लौट रहे लोगों में अफरातफरी मच गई है। कुछ ने तो अपनी वापसी का कार्यक्रम ही स्थगित कर दिया और जो रास्ते में थे उन्हें अमेरिकी हवाई अड्डों पर हिरासत में ले लिया।
फैसले से आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों में होगा इजाफा
दुनिया के 7 बड़े मुस्लिम देशों के लोगों को वीजा देने के नियमों को कड़ा करने और शरणार्थियों के आगमन पर रोक लगाने जैसे ट्रंप प्रशासन के फैसले से दुनिया में आतंकी समूह एक बार फिर से सिर उठा सकते हैं। ट्रंप प्रशासन के इन फैसलों से आतंकियों को अमेरिका के खिलाफ प्रॉपेगैंडा का प्रचार करने में मदद मिलेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही मुस्लिमों के अमेरिका आने पर रोक लगाने का वादा किया था। हालांकि ट्रंप की भाषा अब कुछ नरम हुई है और रविवार को आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा कि उनका इरादा मुस्लिमों को नहीं,बल्कि आतंकियों को अमेरिका से बाहर रखने का है।
रक्षा मंत्रालय में ऑर्डर पर साइन करते हुए ट्रंप ने कहा कि हम आतंकियों की यहां मौजूदगी नहीं चाहते। ट्रंप बोले, 'हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे देश ऐसे खतरे प्रवेश न करें, जिनके खिलाफ हमारे सैनिक विदेशों में भी जंग लड़ रहे हैं।' हालांकि मुस्लिम बहुसंख्यक देशों के तमाम अधिकारियों, विश्लेषकों और सामान्य नागरिकों ने इंटरव्यूज में माना है कि इससे यह संदेश जाएगा कि ट्रंप प्रशासन इस्लाम को ही एक समस्या के तौर पर देखता है।इराक के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सांसद मुवाफाक अल-रुबाई ने कहा, 'मेरा मानना है कि यह पूरी मुस्लिम जगत को ही अलग-थलग करने जैसा है।' इस्तांबुल की बिल्गी यूनिवर्सिटी के प्रफेसर इल्टर तुरान ने कहा, 'आतंकी कह सकते हैं, देखिए अमेरिका का निशाना आतंकवाद नहीं, बल्कि मुसलमान हैं।' बीते कुछ सालों से मुस्लिम वर्ल्ड के प्रति अमेरिका की नीति व्यवहारिकतापूर्ण रही है। पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान भी कई हमलों और मिलिट्री ऐक्शन के ऐलान किए गए थे, लेकिन प्रशासन की ओर से कहा गया कि वे धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर हैं और अमेरिका की इस्लाम के खिलाफ किसी तरह की जंग नहीं है।
ट्रंप के फैसले पर इस्लामिक दुनिया के अपमान का लगा आरोप
सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमरीका आने पर प्रतिबंध लगाने के ट्रंप के आदेश को ईरान ने 'इस्लामिक दुनिया का अपमान' बताया है। इसके साथ ही ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की बात कही है। ईरान ने कहा है कि ट्रंप के इस फैसले के जवाब में वो भी अमरीकी लोगों के ईरान आने पर पाबंदी लगाएगा। इसके साथ ही ट्रंप के इस फैसले की अमरीका समेत दुनियाभर में आलोचना शुरू हो गई है। अमरीका के इस कदम की संयुक्त राष्ट्र और यूरोप में फ्रांस समेत कई देशों ने तीखी आलोचना की है।
शरणार्थियों की गिरफ्तारी शुरू
शरणार्थियों और अप्रवासियों को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के शक्रवार के नए आदेश के बाद ट्रंप प्रशासन ने इस पर कार्रवाई तेज कर दी है। अमरीका के जॉन एफ केनेडी हवाई अड्डे पर शनिवार को दो इराकी शरणार्थियों को हिरासत में ले लिया गया। बताया जाता है कि इनमें से एक जो अमरीकी सेना के लिए अनुवादक का काम कर चुका है, उसे जांच के बाद छोड़ दिया गया। मगर दूसरा व्यक्ति अब भी इमिग्रेशन विभाग के हिरासत में है।
अब तक 13 की हुई है गिरफ्तारी
बताया जाता है कि इन दोनों के इलावा 11 अन्य शरणार्थियों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। न्यूयॉर्क के सांसद जेरी नैडलर ने एक ट्वीट कर जानकारी दी है कि वे 11 अन्य शरणार्थियों की मदद की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें पकड़ा गया है। अमरीका में कुछ नागरिक अधिकार संगठनों ने न्यूयॉर्क में हिरासत में लिए गए शरणार्थियों की रिहाई के लिए कानून का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि ट्रंप के नए आदेश के बाद अगले चार महीनों तक शरणार्थियों के अमरीका में आने पर रोक लगा दी गई है।
यह है ट्रंप का फरमान
ट्रंप ने अपने आदेश में सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमरीका आने पर 90 दिनों तक के लिए रोक लगा दी है। हिंसाग्रस्त सीरिया से जान बचाकर अमरीका आनेवाले शरणार्थियों के आगमन पर भी अगली सूचना तक प्रतिबंध लगा दिया गया है। गौरतलब है कि ट्रंप ने सीरिया, ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन के नागरिकों के अमरीका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। खबरों के मुताबिक, ट्रंप के आदेश के बाद अमरीका जानेवाली कई हवाई सेवा प्रदाताओं ने यात्रियों को उड़ान में जाने से रोक दिया है। बताया जाता है कि इराक और यमन के कम-से-कम सात यात्रियों को मिस्र की राजधानी काहिरा में अमरीका जाने वाली विमान में नहीं बैठने दिया गया।
ग्रीन कार्ड होल्डर्स को भी इजाजत नहीं
इन सातों देशों के अमरीकी ग्रीन कार्ड हासिल कर चुके नागरिकों को भी कोई छूट नहीं दी जा रही है। गौरतलब है कि ग्रीन कार्ड प्राप्त कर चुके लोग बिना वीजा के स्थायी तौर पर अमरीका में रहने के कानूनी तौर पर हकदार होते हैं।