अमेरिकी सांसदों ने डोनाल्ड ट्रंप से एच1-बी वीजा संबंधी कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया
अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अनुरोध किया है कि वे एच1-बी वीजा को लेकर जारी अपने आदेश पर पुनर्विचार करें जिसमें 1,00,000 अमेरिकी डॉलर शुल्क भी शामिल है।
सांसदों ने कहा कि भारतीय नागरिक अमेरिका के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) क्षेत्र में अमेरिका के नेतृत्व के केंद्र में हैं और इस तरह की प्रतिबंधात्मक नीतियां अमेरिका और भारत के बीच संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डालेंगी।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा सदस्य जिमी पनेटा के साथ ही कांग्रेस सदस्यों अमी बेरा, सालुद कार्बाजल और जूली जॉनसन ने बृहस्पतिवार को ट्रंप को पत्र लिखा।
सांसदों ने एच1-बी वीज़ा कार्यक्रम को लेकर ट्रंप की ‘कुछ गैर-प्रवासी कामगारों के प्रवेश पर पाबंदी’ संबंधी घोषणा पर चिंता जतायी, जिसके तहत अन्य पाबंदियों के अलावा नये आवेदनों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाया गया है। उन्होंने ट्रंप से आग्रह किया कि वे इस निर्णय पर अमेरिका-भारत संबंधों पर संभावित नकारात्मक प्रभावों के मद्देनजर पुनर्विचार करें।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में भारत गए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के रूप में, हम न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए, बल्कि भारत के साथ हमारे संबंधों और हमारे द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले भारतीय-अमेरिकी समुदायों के लिए भी एच-1बी कार्यक्रम के महत्व को समझते हैं।’’
सांसदों ने पत्र में कहा, ‘हम आपसे सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि आप 19 सितंबर की घोषणा को स्थगित करें और ऐसी किसी भी नीति पर पुनर्विचार करें जो एच-1बी कार्यक्रम तक उचित पहुंच को कमतर करती हो।’
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब चीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उन्नत तकनीकों में ‘आक्रामक रूप से निवेश’ कर रहा है, अमेरिका को अपने ‘नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने, रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने और अपनी दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बनाए रखने’ के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना जारी रखना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के मामले में, जो पिछले साल 71 प्रतिशत एच-1बी धारकों का मूल देश था, इस प्रतिभा को आकर्षित करने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख लोकतांत्रिक साझेदार के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी भी मजबूत होती है।’’