यूनेस्को से अमेरिका होगा अलग, क्या है वजह?
संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से अमेरिका अलग हो गया है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से जारी एक बयान में इस बात की पुष्टि हुई है।
हालांकि बयान में यह भी कहा गया है कि अमेरिका ऑबजर्वर के रूप में यूनेस्को से जुड़ा रहेगा। इस कदम के पीछे स्टेट डिपार्टमेंट की ओर से यूनेस्को पर इजरायल विरोधी एकतरफा पक्ष रखने का आरोप लगाया गया है।
#US @StateDept statement on #UNESCO withdrawal: pic.twitter.com/eaALtElOVr
— Matt Lee (@APDiploWriter) October 12, 2017
अमेरिका के इस कदम से फंड की कमी से जूझ रहे यूनेस्को की दिक्कत और बढ़ सकती है। यूनेस्को को अमेरिका से हर साल आठ करोड़ डॉलर (करीब 520 करोड़ रुपये) की मदद मिलती है। संगठन को दिए जाने वाले फंड की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आलोचना भी कर चुके हैं।
यूनेस्को का मुख्यालय पेरिस में है। संयुक्त राष्ट्र का यह संगठन 1946 से काम कर रहा है। इसे विश्व धरोहरों को चिह्नित करने के तौर पर जाना जाता है। अमेरिका ने साल 2011 में फलस्तीन को यूनेस्को का पूर्णकालिक सदस्य बनाने के फैसले के विरोध में इसके बजट में अपने योगदान नहीं दिया था। यूनेस्को से अमेरिका के हटने के बारे में पूछे जाने पर संगठन में अमेरिका के प्रतिनिधि और अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। इससे पहले फॉरेन पॉलिसी मैगजीन ने भी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि 58 सदस्यीय यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड द्वारा शुक्रवार को नए महानिदेशक का चुनाव किए जाने के बाद अमेरिका इससे अलग होने का एलान कर सकता है।