दक्षिण चीन सागर हमारा मगर हिंद महासागर तुम्हारा नहीं: चीन
चीन के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के सामरिक संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर और सीनियर कैप्टन झाओ यी ने यहां भारतीय पत्रकारों और चीन की यात्रा पर आए भारतीय मीडिया प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान कहा, एक खुले समुद्र और समुद्र के अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों के लिए आंगन (बैकयार्ड) शब्द का इस्तेमाल करना बहुत अधिक उचित नहीं है। हिंद महासागर में चीनी नौसेना के बढ़ते दखल पर भारत की चिंताओं के संबंध में किए गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, भूगौलिक स्थिति के हिसाब से बात करें तो मैं यह स्वीकार करता हूं कि भारत ने हिंद महासागर और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिरता में विशेष भूमिका अदा की है। लेकिन यदि भारत यह मानता है कि हिंद महासागर उसका आंगन है तो कैसे अमेरिका, रूस और आस्ट्रेलिया की नौसेनाएं हिंद महासागर में मुक्त आवाजाही करती हैं?
21वीं सदी में हिंद महासागर पर ध्यान केंद्रित होने और इसके परिणामस्वरूप कई संघर्ष छिड़ने की अमेरिकी शोधकर्ता की भविष्यवाणी का जिक्र करते हुए कैप्टन झाओ ने कहा कि वह अमेरिकी शोधकर्ता के विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते लेकिन यदि हिंद महासागर को भारत का आंगन समझने की धारणा बनी रहती है तो ऐसी किसी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक श्वेतपत्र की पृष्ठभूमि में हुई है जिसमें अपने तटों से बहुत अधिक दूर खुले समुद्र में संरक्षण के लिए चीनी नौसेना की भूमिका को पहली बार रेखांकित किया गया है और इसमें नई सैन्य सामरिक नीति की रूपरेखा पेश की गई है। इसके साथ ही पिछले वर्ष कोलंबो बंदरगाह पर चीनी पनडुब्बी की मौजूदगी और हाल ही में कराची में इसकी मौजूदगी ने भारत में चिंताएं पैदा कर दी हैं।
भारतीय मीडिया और चीनी सैन्य विशेषज्ञों के बीच इस बातचीत की कमान चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता तथा सीनियर कर्नल यांग युजान ने संभाली और इसका आयोजन आल चाइना जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा किया गया था। वार्ता का मकसद दोनों देशों के बीच बेहतर आपसी समझ को बढ़ावा देना था जो घनिष्ठ राजनीतिक, सैन्य और कारोबारी संबंध स्थापित करने में लगे हैं।
विवादित दक्षिण चीन सागर में एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन की स्थापना के बारे में सीनियर कर्नल और पीएलए वायुसेना कमान के निदेशक यांग युजे ने कहा कि जब इसे वर्ष 2013 में लागू किया गया था तो चीन पूर्वी चीन सागर में एडीआईजेड लागू करने का संदेश सही तरीके से नहीं दे पाया। उन्होंने कहा कि चीनी एडीआईजेड के बारे में गलतफहमियां अभी बनी हुई हैं जबकि 20 से अधिक देशों ने अपने अपने एडीआईजेड बना रखे हैं।