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12 March 2024

सीएए काफी समय से लंबित था: भारतीय अमेरिकी समूह

अमेरिका के हिंदू संगठनों ने कहा है कि भारत में सोमवार को अधिसूचित किया गया नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) काफी समय से लंबित था और यह अमेरिका में धार्मिक शरणार्थियों के लिए लागू किए गए लॉटेनबर्ग संशोधन को प्रतिबिंबित करता है। भारत सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम -2019 के नियमों की अधिसूचना सोमवार को जारी की।

इस कानून को पारित किये जाने के चार साल बाद उठाए गए केंद्र सरकार के इस कदम के कारण पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) की कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने कहा, ‘‘भारत का नागरिकता संशोधन अधिनियम काफी समय से लंबित था और यह कानून आवश्यक है।

यह भारत में कुछ सबसे कमजोर शरणार्थियों की रक्षा करता है। यह उन्हें वो मानवाधिकार प्रदान करता है जिनसे उन्हें उनके देश में वंचित कर दिया गया था। यह उन्हें अपने जीवन का पुनर्निर्माण करने के लिए आवश्यक नागरिकता का स्पष्ट और त्वरित मार्ग प्रदान करता है।’’ एचएएफ ने एक बयान में कहा कि सीएए किसी भी भारतीय नागरिक के अधिकारों में बदलाव नहीं करता और न ही यह सामान्य आव्रजन के लिए किसी धार्मिक जांच की व्यवस्था करता है तथा न ही मुसलमानों को भारत में रहने से रोकता है, जैसा कि गलत तरीके से प्रचारित किया गया था।

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उन्होंने कहा, ‘‘सीएए 1990 से अमेरिका में लंबे समय से प्रभावी लॉटेनबर्ग संशोधन को प्रतिबिंबित करता है, जिसने उन चुनिंदा देशों से भाग कर आए लोगों के लिए एक स्पष्ट आव्रजन मार्ग प्रदान किया जहां धर्म के आधार पर उत्पीड़न बड़े पैमाने पर होता है।’’ ‘कोलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका’ की सदस्य पुष्पिता प्रसाद ने कहा कि यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न का शिकार हुए धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की एक बड़ी जीत है। लोकप्रिय अफ्रीकी-अमेरिकी गायिका मैरी मिलबेन ने इसे शांति की ओर जाने वाला मार्ग बताया।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह सच्चा लोकतांत्रिक कदम है।’’ दूसरी ओर, भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (आईएएमसी) ने भारत द्वारा सीएए लागू किए जाने की घोषणा पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे ‘‘भेदभावपूर्ण’’ बताया। आईएएमसी अध्यक्ष मोहम्मद जवाद ने कहा, ‘‘यह कानून भेदभावपूर्ण इरादे को प्रमुखता से दिखाता है। इसे भारतीय मुसलमानों के साथ भेदभाव करने, उन्हें बेदखल करने और मताधिकार से वंचित करने के स्पष्ट उद्देश्य से बनाया गया है।’’

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TAGS: CAA, long pending, Indian American group
OUTLOOK 12 March, 2024
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