इब्राहिम रईसी की मौत: कौन होगा ईरान का अगला राष्ट्रपति, क्या कहता है संविधान?
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया। क्रैश में 63 वर्षीय रईसी के अलावा विदेश मंत्री हौसैन अमीराब्दुल्लाहियन सहित कुल 9 लोग सवार थे, हादसे में सभी लोग मारे गएं। लेकिन अब सवाल है कि ईरान में राष्ट्रपति के पद पर कौन बैठेगा। ईरान में अगर कार्यकाल के दौरान किसी राष्ट्रपति की मौत होती है तब ईरानी संविधान का अनुच्छेद 131 निर्देश देता है कि सुप्रीम लीडर के पुष्टि के बाद देश का पहला उपराष्ट्रपति अस्थायी राष्ट्रपति के रूप में पद पर बैठ सकता है।
आपको बता दें कि मौजूदा समय में मोहम्मद मोखबर ईरान के पहले उपराष्ट्रपति हैं। हालांकि जैसा ईरान का संविधान कहता है, सुप्रीम लीडर के पुष्टि के बाद ही उपराष्ट्रपति को अस्थायी राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। इससे इतर, एक परिषद का गठन होगा जिसमें प्रथम उपराष्ट्रपति, संसद के अध्यक्ष और न्यायपालिका के प्रमुख लोग होंगे, उन्हें 50 दिनों के अधिकतम अवधि में एक नए राष्ट्रपति के चुनाव का आयोजन करना होगा।
कौन हैं मोहम्मद मोखबर?
1 सितंबर, 1955 को जन्मे मोखबर का सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के साथ घनिष्ठ संबंध है, जो ईरानी मामलों में अंतिम अधिकार रखते हैं। मोहम्मद मोखबर 8 अगस्त 2021 से ईरान के 7वें और वर्तमान के पहले उपराष्ट्रपति हैं। मोखबर, अक्टूबर में मास्को के साथ बातचीत में शामिल थे, जिससे रूस की सेना को कई मिसाइलें और ड्रोन उपलब्ध कराने के समझौते को सुविधाजनक बनाया गया था। इस प्रतिनिधिमंडल में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स और सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के अधिकारी भी शामिल थे।
इससे पहले, मोखबर सर्वोच्च नेता से जुड़े एक निवेश कोष, सेटैड का नेतृत्व करते थे और परमाणु या बैलिस्टिक मिसाइल गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए 2010 में यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के अधीन थे। 2012 में उन्हें उस सूची से हटा दिया गया। 2013 में, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने सेटैड और उससे जुड़ी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं अगर पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उनके पास डॉक्टरेट की दो डिग्रियां हैं।
आपको बता दें कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जाहिर करते हुए एक्स पर लिखा, "ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन से गहरा दुख और सदमा लगा है। भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति संवेदना। दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है।"