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31 December 2024

एलन मस्क ने ‘एच-1बी’ वीजा कार्यक्रम पर अपना रुख नरम किया, ‘बड़े सुधारों’ का आह्वान किया

‘एच-1बी’ वीजा कार्यक्रम के बचाव में ‘‘किसी भी हद तक जाने’’का संकल्प लेने वाले प्रौद्योगिकी अरबपति एलन मस्क ने इस मुद्दे पर अपना रुख नरम करते हुए कुशल विदेशी श्रमिकों को अमेरिका लाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली त्रुटिपूर्ण प्रणाली में सुधार का आह्वान किया है।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मस्क और भारतीय-अमेरिकी प्रौद्योगिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी को अपने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) का नेतृत्व करने के लिए चुना है। पिछले हफ्ते मस्क ने तर्क दिया था कि उनकी स्पेसएक्स और टेस्ला जैसी तकनीकी कंपनियों के लिए विदेशी कर्मचारियों की जरूरत है।

मस्क ने पिछले सप्ताह ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘‘मैं उन कई महत्वपूर्ण लोगों के साथ अमेरिका में हूं, जिन्होंने अमेरिका को मजबूत बनाने वाली स्पेसएक्स, टेस्ला और सैकड़ों अन्य कंपनियों का निर्माण किया है, इसका कारण ‘एच-1बी’ है।’’

मस्क ने एक ‘एक्स’ यूजर के पोस्ट के जवाब में अपने पहले के बयान को वापस ले लिया, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका को दुनिया की सबसे ‘‘श्रेष्ठ प्रतिभाओं’’ के लिए एक गंतव्य बनना चाहिए, लेकिन तर्क दिया कि वर्तमान ‘एच-1बी’ प्रणाली समाधान नहीं है।
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मस्क ने रविवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘न्यूनतम वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि करके और ‘एच-1बी’ को बनाए रखने के लिए वार्षिक लागत जोड़कर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है, जिससे घरेलू स्तर की तुलना में विदेशों से भर्ती करना अधिक महंगा हो जाएगा। मैं इस बात पर बहुत स्पष्ट हूं कि यह कार्यक्रम त्रुटिपूर्ण है और इसमें बड़े सुधार की आवश्यकता है।’’

‘एच-1बी’ वीजा एक गैर प्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले विशेष तरह के व्यवसायों में विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है।

प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए ‘एच-1बी’ वीजा पर निर्भर करती हैं।

प्रौद्योगिकी उद्योग लंबे समय से अमेरिका में अत्यधिक कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए अधिक ‘एच-1बी’ वीजा की मांग कर रहा है।

मस्क कभी ‘एच-1बी’ वीजा पर निर्भर थे और उनकी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी टेस्ला ने इस कार्यक्रम का उपयोग करके श्रमिकों को काम पर रखा है। उन्होंने प्रौद्योगिकी उद्योग की विदेशी श्रमिकों को काम पर रखने की आवश्यकता का बचाव किया।

उन्होंने 28 दिसंबर को ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अमेरिका आने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या राष्ट्रीयता का हो और उसने इस देश के लिए योगदान देने में कड़ी मेहनत की है तो मैं उसका हमेशा सम्मान करूंगा। अमेरिका आजादी और अवसरों की भूमि है। इसे ऐसे ही बनाए रखने के लिए अपने पूरे अस्तित्व के साथ लड़ें।’’

मस्क के बयान को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी समर्थन मिला, जिनके पहले प्रशासन ने 2020 में यह कहकर इस कार्यक्रम को प्रतिबंधित कर दिया था कि यह व्यवसायों को अमेरिकियों की जगह कम वेतन वाले विदेशी श्रमिकों को रखने की अनुमति देता है।

हालांकि, ट्रंप ने हाल में कहा, ‘‘मुझे हमेशा से वीजा पसंद रहा है, मैं हमेशा से वीजा के पक्ष में रहा हूं। इसलिए हमारे पास ये (एच-1बी वीजा) है।’’

मस्क लगातार कार्यक्रम के पक्ष में ‘एक्स’ पर पोस्ट करते रहे हैं।

आव्रजन पर बहस के बीच ट्रंप के कई समर्थक और आव्रजन विरोधी ‘एच-1बी’ वीजा कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए दबाव बना रहे हैं।

यह बहस तब शुरू हुई जब दक्षिणपंथी विचारधारा वाली ‘इन्फ्लुएंसर’ (सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बातों से लोगों को प्रभावित करने वाले लोग) लॉरा लूमर ने ट्रंप द्वारा अपने आगामी प्रशासन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नीति पर सलाहकार के रूप में भारतीय-अमेरिकी उद्यमी श्रीराम कृष्णन के चयन की आलोचना की। कृष्णन अमेरिका में अधिक कुशल अप्रवासियों को लाने की क्षमता के पक्षधर हैं।

लूमर ने इसे ‘‘अमेरिका प्रथम नीति’’ के विपरीत बताया और कहा कि ट्रंप के साथ जुड़े सभी उद्यमी इसके (एच-1बी) के पक्षधर हैं।

बहस तब और तेज हो गई जब रामास्वामी ने अमेरिकी संस्कृति की आलोचना करते हुए कहा कि यह शैक्षणिक उत्कृष्टता और योग्यता के आधार पर सफलता पर ध्यान देने के बजाय सामान्यता को बढ़ावा देती है।

 

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TAGS: H1B visa, India US relationship, Narendra modi, Elon Musk, Donald Trump
OUTLOOK 31 December, 2024
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