मोदी के सामने कैमरन ने उठाया था असहिष्णुता का मुद्दा
ब्रिटेन की संसद के ऊपरी सदन हाउस ऑफ लार्ड्स में सोमवार को पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालय में ब्रिटेन की मंत्री जॉयस एनिले ने कहा कि कैमरन ने भारत में सहिष्णुता की परंपरा को बरकरार रखने की मोदी की प्रतिबद्धता का स्वागत किया।
उन्होंने सांसदों से कहा, मेरे सम्माननीय दोस्तों, प्रधानमंत्री (कैमरन) ने नवंबर में प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के समय उनसे मानवाधिकारों पर चर्चा की और भारत में सहिष्णुता और सामाजिक सौहार्द की परंपरा को बनाए रखने और समग्र विकास को बढ़ावा देने की मोदी की प्रतिबद्धता का स्वागत किया। कैमरन ने पीटीआई को बताया था कि दौरे के समय हर मुद्दे पर चर्चा हुई और उन्होंने मोदी के समक्ष मानवाधिकारों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा था, मैं भारत को वैसे ही देखता हूं जैसे ब्रिटेन को देखता हूं, एक ऐसा जीवंत देश जो बहुआस्था और बहुजातीय लोकतंत्र है।
हाउस ऑफ लॉर्ड्स में इस हफ्ते हुई चर्चा में विम्बलडन के लॉर्ड इंद्रजीत सिंह ने मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ईसाइयों और मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभाव के क्षुब्धकारी साक्ष्य की तरफ इशारा किया था। इंद्रजीत ने पूछा, क्या सरकार इस बात से सहमत है कि मानवाधिकारों का सम्मान हर जगह पर होना चाहिए। इसपर एनिले ने कहा, मैं कह सकती हूं कि प्रधानमंत्री मोदी के ब्रिटेन दौरे के समय मेरे सम्मानीय मित्र प्रधानमंत्री (कैमरन) ने उनसे भारत में असहिष्णुता पर चर्चा की। उन्होंने कहा, हमें गौर करना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई अवसरों पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है कि भारत में सहिष्णुता और स्वतंत्रता के मूल्यों का सम्मान होता है। साथ ही उन्होंने सामाजिक सौहार्द और समग्र विकास के महत्व को दोहराया है। उसका स्वागत है।
पेंटरेगार्थ के लॉर्ड हैरिस ने कहा कि उनकी चिंता अल्पसंख्यक समूहों और खासकर दलितों को न्याय मिलने को लेकर है। उन्होंने पूछा, हर हफ्ते 13 दलितों की हत्या होती है और पांच के घर जलाए जाते हैं और हर दिन तीन दलित महिलाओं से बलात्कार होता है। समस्या यह है कि कानूनी तंत्र मौजूद है लेकिन उसको काफी कमजोर तरीके से लागू किया जाता है या लागू नहीं किया जाता है। क्या सरकार भारतीय अधिकारियों को प्रोत्साहित करेगी कि वह पूरी कानूनी व्यवस्था को मजबूत करे ताकि दोषियों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके। इसपर एनिले ने कहा कि भारत में ब्रिटेन का उच्चायोग भारत के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और देश की राज्य सरकारों से अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव के बारे में नियमित रूप से चर्चा करता है। उन्होंने कहा, यह जरूरी है कि हम भारत के साथ इस बारे में चर्चा करें कि कैसे वह अपने मजबूत कानून को लागू कर सकता है।