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22 September 2015

यूनान और ब्रिटेन पर चढ़ा वामपंथ का रंग

यूनान के वामपंथी नेता एलेक्सीस सीपरास ने लगातार दूसरी बार जनादेश हासिल कर विरोधियों को करारा जवाब दिया है। रविवार को यूनान में हुए चुनावों में सीपरास की सिरीजा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। आर्थिक संकट से जूझ रहे यूनान में विपक्षी दल सीपरास की आर्थिक नीतियों और फैसलों की कड़ी अालोचना कर रहे थे, लेकिन देशवासियों ने एक बार फिर सीपरास में भरोसा जताया है। इससे पहले यूरोपीय आ‍र्थिक पैकेज को लेकर हुए जनमत संग्रह में भी जनता ने सीपरास के समर्थन में रुझान दिखाया था। 

चुनाव से पहले सीपरास ने एेलान किया कि सत्ता में पहली बार सात महीने के उथल-पुथल भरे माहौल के बाद संकट का सामना कर रही अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने और सुधार करने के लिए दूसरा जनादेश पाने को लेकर वह आश्वस्त हैं। चुनाव नतीजों के अनुसार, सिरीजा पार्टी को न्यू डेमोक्रेसी पार्टी के 28 फ़ीसदी के मुकाबले 35 फीसदी से अधिक मत प्राप्‍त हुए हैं जबकि धुर दक्षिणपंथी गोल्डन डाउन पार्टी 7.1 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्‍थान पर रही। इस साल ये दूसरा मौका है, जब वित्‍तीय संकट में जूझ रहे यूनान के लोगों ने आम चुनाव में हिस्सा लिया। 

इससे पहले ब्रिटेन में भी वामपंथ की वापसी का जबरदस्‍त संकेत देखने को मिला था। वहां 66 वर्षीय सांसद धुर वामपंथी जेरेमी कॉर्बिन को ब्रिटेन की लेबर पार्टी का नया नेता चुना गया है। जानकारों का मानना है कि ब्रिटेन के राजनीतिक इतिहास में यह सबसे बड़े उलटफेरों में से एक है। इराक युद्ध के मुखर विरोधी रहे कॉर्बिन को करीब 60 फीसदी बहुमत के साथ पार्टी की कमान मिली है। हालांकि, पार्टी के भीतर और बाहर उन्‍हें काफी विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। ब्रिटिश आर्मी के एक आला अधिकारी ने तो यहां तक कह डाला कि अगर कॉर्बिन देश के प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह उनके साथ खड़े नहीं हाेंगे और कॉर्बिन के खिलाफ विद्रोह हो सकता है। 

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TAGS: वामपंथ, यूरोप, यूनान, ब्रिटेन, विचारधारा, सीपरास, जेरेमी कॉर्बिन
OUTLOOK 22 September, 2015
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