रूस को लेकर लेकर विदेश मंत्री का बड़ा बयान, कहा- "उनके साथ संबंध भारत के लिए बाधा नहीं"
उन्होंने कहा, ‘‘रूस के साथ हमारा रिश्ता है और यह रिश्ता एक पल, एक दिन, एक महीने या एक साल में बना रिश्ता नहीं है। यह लगभग 60 वर्षों का संचित संबंध है।" जयशंकर ने कहा, ‘‘ अक्सर मैं देखता हूं कि एक समस्या को इस तरह से परिभाषित किया जाता है जैसे कि इस संबंध के कारण भारत में कहीं न कहीं कोई बाधा है।’’
उन्होंने कहा कि इस रिश्ते ने हमें कई बार बचाया है। जयशंकर ने दोनों पक्षों के संबंध के ऐतिहासिक पहलुओं का भी जिक्र किया। वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण और वितरण के प्रयासों को प्रधानमंत्री प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण कहते हैं। आज औसत व्यक्ति न केवल इसका उपयोग करता है बल्कि इससे जुड़ता भी है।’’
गौरतलब है कि रूस भारत का रिश्ता काफी पुराना है। भारत-रूस संबंधों का विकास भारत की विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ रहा है। "भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी घोषणा" पर हस्ताक्षर के बाद से दोनो देशो में और भी ज्यादा नजदीकी आ गई थी, जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत यात्रा पर आए हुए थे। लगभग सभी क्षेत्रों में सहयोग मसलन राजनीतिक, सुरक्षा, व्यापार और अर्थव्यवस्था, रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और संस्कृति रणनीतिक साझेदारी के तहत दोनो देश कई संस्थागत संवाद नियमितता सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक और आधिकारिक दोनों स्तरों पर काम भी करते हैं।