जब ‘लिटिल बॉय’ और ‘फैट मैन’ ने हिरोशिमा-नागासाकी में बरपाया था कहर
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान पर दो बड़े घाव किए थे। ये घाव आज भी जापान को टीस देते हैं। 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा शहर पर सवा आठ बजे अमेरिका ने परमाणु बम गिराया। इस बम का नाम ‘लिटिल बॉय’ था। इस हमले में 90 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। शहर के 30 फीसदी लोगों की मौत तत्काल हो गई थी। ‘लिटल बॉय’ का वजन 9700 पाउंड (4400 किलोग्राम), लंबाई 10 फुट औक व्यास 28 इंच था। इस बम के कारण जमीनी स्तर पर लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी पैदा हुई थी। रेडिएशन की वजह तक बाद तक लोग यहां बीमार पैदा होते रहे।
बम हिरोशिमा की तय जगह पर नहीं गिराया जा सका था। यह हिरोशिमा के आइयो ब्रिज के पास गिरने वाला था मगर उल्टी दिशा में बह रही हवा के कारण यह अपने लक्ष्य से हटकर शीमा सर्जिकल क्लीनिक पर गिरा। हमले के बाद 9 अगस्त को नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम 'फैट मैन' गिराया गया था। यूएस एयरफोर्स के जवानों ने हमले से पहले लोगों को चेतावनी देने के लिए पर्चा गिराया था।
नागासाकी शहर के पहाड़ों से घिरे होने के कारण केवल 6.7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही तबाही फैल पाई। लगभग 74 हजार लोग इस हमले में मारे गए थे और इतनी ही संख्या में लोग घायल हुए थे। उसी रात अमेरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने घोषणा की, ‘जापानियों को अब पता चल चुका होगा कि परमाणु बम क्या कर सकता है। जापान ने अभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया तो उसके अन्य युद्ध प्रतिष्ठानों पर हमला किया जाएगा और दुर्भाग्य से इसमें हजारों नागरिक मारे जाएंगे।‘ अगर जापान ने 14 अगस्त को आत्मसमर्पण न किया होता तो अमेरिका ने 19 अगस्त को एक और शहर पर परमाणु बम गिराने की योजना बनाई थी।
प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस घटना की 73वीं वर्षगांठ के मौके पर मौके पर कहा कि जापान का उत्तरदायित्व परमाणु संपन्न और परमाणु शस्त्र रहित राष्ट्रों के बीच के अंतर को पाटना है। आबे की सरकार ने परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध को लेकर संयुक्त राष्ट्र के समझौते में हिस्सा नहीं लेने का फैसला लिया था।