राहुल गांधी ने यूएस एक्सपर्ट से पूछा सवाल, भारत के मामलों को लेकर अमेरिका क्यों बैठा है चुप
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को हार्वर्ड कैनेडरी स्कूल के अंबेसडर निकोलस बर्न्स के साथ वर्चुअल वीडियो मीटिंग की। इस दौरान राहुल ले भाजपा की सरकार पर देश की संस्थागत ढ़ाचे पर कब्जा कर लेने का आरोप लगाया और भारत में हो रही घटनाओं को लेकर अमेरिका की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक निकोलस के साथ बातचीत में राहुल गांधी ने कहा कि भारत में क्या हो रहा है, इस बारे में अमेरिकी प्रतिष्ठान से कुछ भी सुनने को नहीं मिला। अगर आप लोकतंत्र की साझेदारी की बात कर रहे हैं, तो मेरा मतलब है कि यहां जो चल रहा है, उस पर आपका क्या विचार है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रमुख रूप से मैं मानता हूं कि अमेरिका एक गहन विचार है। स्वतंत्रता का विचार जिस तरह से आपके संविधान में है वह एक बहुत शक्तिशाली विचार है, लेकिन आपको उस विचार का बचाव करना चाहिए। यही असली सवाल है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश में संस्थागत ढ़ाचे पर सत्तापक्ष की तरफ से पूरी तरह कब्जा कर लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबला मुकाबला सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाएं हमारे मनमुताबिक सहयोग नहीं दे रही हैं।
कांग्रेस की चुनावी असफलता और आगो की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने कहा कि हम आज ऐसी अलग स्थिति में हैं जहां वे संस्थाएं हमारी रक्षा नहीं कर पा रही हैं जिन्हें हमारी रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष की तरह से संस्थागत ढ़ाचे पर पूरी तरह कब्जा कर लिया गया है।
इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि सत्तापक्ष से लोगों को मोहभंग हो रहा है और यह कांग्रेस के लिए एक अवसर है। कोरोना संकट और लॉकडाउन पर राहुल ने कहा कि मैंने लॉकडाउन की शुरुआत में ही कहा था कि शक्ति का विकेंद्रीकरण किया जाए, लेकिन कुछ महीनों के बाद केंद्र सरकार की समझ में आया तब तक बहुत नुकसान हो चुका था।
राहुल ने यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री बनने पर उनकी नीतियां क्या होंगी। इस पर उन्होंने कहा कि वह नौकरियों पर जोर देंगे। अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि अब सिर्फ एक ही विकल्प है कि लोगों के हाथों में पैसे दिए जाएं। जिसके लिए हमारे पास न्याय का विचार है।