तालिबान सरकार का गठन फिर टला, काबुल पहुंचे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख, जाने क्या है मकसद
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का गठन फिर टल गया है। इस बीच पाकिस्तान अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को काबुल पहुंचा। इसमें आईएसआई चीफ जनरल फैज हामिद भी थे। सरकार के गठन से पहले तालिबान में प्रतिनिधिमंडल का जाना कई तरह के सवाल खड़े करता है।
पाकिस्तान के दो अधिकारियों ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर यह जानकारी दी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का तालिबान पर काफी प्रभाव माना जाता है। वैसे तालिबान का पाकिस्तान से पुराना नाता रहा है, लेकिन सरकार के गठन से पहले पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का पहुंचना सवालों के घेरे में है। तालिबानी सरकार के गठन में पाकिस्तान के दखल की चर्चाएं भी जोरों पर हैं। वहीं, हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के बीच घनिष्ठता किसी से छिपी नहीं है।
अफगानिस्तान में सरकार गठन से पहले फैज हमीद अफगानिस्तान पहुंचे हैं। कहा जा रहा है कि तालिबान के बुलावे पर फैद हमीद अफगानिस्तान पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात का मकसद दोनों देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा के मुद्दे पर बातचीत करना था।
तालिबानी नेतृत्व का मुख्यालय पाकिस्तान में था और अक्सर कहा जाता है कि उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘इंटर सर्विसज इंटेलीजेंस एजेंसी’ (आईएसआई) से सीधे संबंध हैं। यह अलग बात है कि पाकिस्तान नियमित तौर पर तालिबान को सैन्य सहायता देने से इनकार करता रहा है, लेकिन अफगान सरकार और वाशिंगटन आरोप लगाते रहे हैं कि तालिबान को पाकिस्तान की मदद मिल रही ह।.
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान ने तालिबान के साथ अपने 10,000 से 15,000 लोगों को काबुल और अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए भेजा था।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने तालिबान के हवाले से दावा किया था कि काबुल में शुक्रवार को तालिबान अपनी नई सरकार का गठन करेगा, लेकिन देर शाम कुछ वजहों से ऐसा नहीं हो पाया। इसके बाद तालिबान के प्रवक्ता ने शनिवार को नई सरकार के गठन की बात कही, लेकिन आज भी ये टल गया। अब कहा जा रहा है कि 2-3 दिन के अंदर तालिबान अफगानिस्तान में सरकार बना लेगा लेकिन इससे पहले पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का काबुल पहुंचना चौंकाने वाला ही है। इस बीच सरकार में हिस्सेदारी को लेकर महिलाओं ने प्रदर्शन किया। नई सरकार में बराबर की हिस्सेदारी को लेकर काबुल में महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।