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23 October 2019

आखिरकार हांगकांग ने वापस लिया विवादित प्रत्यर्पण विधेयक, महीनों चला विरोध प्रदर्शन

File Photo

हांगकांग की विधायिका ने आधिकारिक तौर पर विवादित प्रत्यर्पण विधेयक को वापस ले लिया है। इस विधेयक के विरोध में वहां महीनों से प्रदर्शन हो रहे हैं। यह जानकारी स्थानीय मीडिया ने दी। हांगकांग में प्रदर्शन इसी साल जून में भड़के थे। दरअसल, हांगकांग सरकार ने चीन के दबाव में प्रत्यर्पण विधेयक पेश किया था। इसके तहत हांगकांग में पकड़े गए अपराधियों को कार्रवाई और जांच के लिए चीन भेजा जा सकता था जबकि इससे पहले तक हांगकांग का कोई भी अपराधी चीन नहीं भेजा जाता था। इस बिल के विरोध में हांगकांग के नागरिक सड़कों पर उतर आए थे। कहा गया कि चीन कानून का गलत इस्तेमाल कर सकता है। दो महीने तक प्रदर्शन चला, जिसके बाद हांगकांग सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया।

प्रदर्शनकारियों को धमकी दे चुके हैं चीनी राष्ट्रपति

इसके बावजूद हांगकांग में प्रदर्शन नहीं थमे, बल्कि प्रदर्शनकारियों ने हांगकांग में चीन से आजादी और लोकतंत्र की मांग की आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है। समय के साथ ही प्रदर्शनकारियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। कई पश्चिमी देशों की तरफ से हांगकांग के हाल पर चिंता जाहिर किए जाने के बाद हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि जो भी चीन के विभाजन का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें कुचल दिया जाएगा। देश में आजादी की वकालत करने वालों का कचूमर निकाल दिया जाएगा। उनके समर्थकों की भी हड्डियां तोड़ दी जाएंगी।

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क्या था कानून

इस कानून के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपराध करके हांगकांग आ जाता है को उसे जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चीन भेजा जा सकता। हांगकांग की सरकार इस मौजूदा कानून में संशोधन के लिए फरवीर में प्रस्ताव लाई थी। कानून में संशोधन का प्रस्ताव एक घटना के बाद लाया गया। जिसमें एक व्यक्ति ने ताइवान में अपनी प्रमिका की कथित तौर पर हत्या कर दी और हांगकांग वापस आ गया था।

हांगकांग की अगर बात की जाए तो यह चीन का एक स्वायत्त द्वीप है। चीन इसे अपने संप्रभु राज्य का हिस्सा मानता है। वहीं हांगकांग की ताइवान के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है। जिसके कारण हत्या के मुकदमे के लिए उस व्यक्ति को ताइवान भेजना मुश्किल है। अगर ये कानून पास हो जाता तो इससे चीन को उन क्षेत्रों में संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अनुमति मिल जाती, जिनके साथ हांगकांग के समझौते नहीं हैं। जैसे संबंधित अपराधी को ताइवान और मकाऊ भी प्रत्यर्पित किया जा सकता। 

हांगकांग सरकार पर भी लोगों का भरोसा नहीं

हांगकांग के लोग इस कानून का जमकर विरोध कर रहे थे। वो सरकार द्वारा कानून को निलंबित किए जाने के बाद भी नहीं थमे। उनका कहना था कि इसे पूरा तरह से खत्म कर दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इन लोगों का मानना है कि अगर ये कानून कभी भी पास होता है तो हांगकांग के लोगों पर चीन का कानून लागू हो जाएगा। जिसके बाद चीन मनमाने ढंग से लोगों को हिरासत में ले लेगा और उन्हें यातनाएं देगा।

लोगों को अब हांगकांग सरकार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं रहा है। बीते कुछ सालों से सरकार के लिए लोगों में अविश्वास काफी बढ़ गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वो बीजिंग के प्रभाव में आकर फैसले ले रही है। जिसके चलते लोग डरे हुए हैं कि बीजिंग गलत तरीके से इस कानून का लोगों के खिलाफ इस्तेमाल करेगा।

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TAGS: Hong Kong, bill, protests
OUTLOOK 23 October, 2019
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