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17 November 2018

खट्टे-मीठे रिश्तों के बीच मालदीव पहुंचे पीएम मोदी, सोलिह के शपथ ग्रहण में हुए शामिल

ANI

पड़ोसी मुल्क मालदीव से संबंधों को नया आयाम देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। एयरपोर्ट पर उनका शानदार स्वागत हुआ। संसद के स्पीकर अब्दुल्ला मसीह ने उनकी अगवानी की। कुछ ही देर में पूर्व राष्ट्रपति और भारत के मित्र समझे जानेवाले मोहम्मद नाशीद समेत कई नेताओं से गले मिलने की तस्वीरें भी आईं। पीएम मोदी ने नाशीद को गले लगाया। यह गर्मजोशी दिखाती है कि पिछले काफी समय से चीन के प्रभाव में रहे मालदीव के साथ रिश्तों पर पड़ी बर्फ पिघल गई है। इसके बाद पीएम मोदी देश शाम वापस दिल्ली के लिए रवाना हुए।

मालदीव के साथ खट्टे-मीठे रहे संबंध

मालदीव के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं। भारत कदम-कदम पर माले की मदद करता आया है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव देखे गए। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समय चीन के प्रभाव में आकर मालदीव ने भारत से दूरी बना ली थी। भारतीयों और भारत द्वारा चलाए जा रहे प्रोजेक्टों के खिलाफ पिछली सरकार ने कई कदम उठाए, जिससे कड़वाहट बढ़ी।

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काफी समय से मालदीव के राजनीतिक हालात भी ठीक नहीं चल रहे थे। अब पीएम मोदी ने सोलिह के शपथ ग्रहण में जाकर मालदीव में चीन के प्रभाव को कम कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की है।

खास बात यह है कि इस अवसर पर मौजूद रहने वाले पीएम मोदी मालदीव के लिए सर्वोच्च रैंकिंग वाले गेस्ट रहे। चीन की ओर से कल्चर मंत्री के शामिल होने की खबर है। दरअसल, चीन के कर्जे में फंसा मालदीव अब भारत की तरफ देख रहा है। मालदीव की पिछली सरकार ने विकास के लिए चीन से भारी पैमाने पर कर्ज ले रखा है। नई सरकार ने चीन के प्रभाव से निकलकर भारत से संबंध मजबूत करने के संकेत दिए हैं।

मालदीव के लिए भी 'सबका साथ सबका विकास' नीति

माले रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का 'सबका साथ सबका विकास' का नजरिया सभी पड़ोसियों के लिए भी है। यह बयान भारत की पड़ोसियों को साथ लेकर तरक्की करने की इच्छा और नीति को स्पष्ट करता है। वास्तव में, 2011 के बाद पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री के मालदीव में होने के कूटनीतिक मायने हैं। इससे पहले तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह माले गए थे। 2015 में पीएम मोदी जाने वाले थे लेकिन माले में राजनीतिक अस्थिरता के चलते दौरा रद्द हो गया था।

सोलिह ने अब्दुल्ला यामीन को दी चुनावी शिकस्त

आपको बता दें कि सोलिह ने आश्चर्यजनक रूप से सितंबर में अब्दुल्ला यामीन को चुनावों में शिकस्त दी थी। राष्ट्रपति सोलिह और नाशीद दोनों एक ही पार्टी से ताल्लुक रखते हैं।

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पीएम मोदी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद और मौमून अब्दुल गयूम के बीच में बैठे थे। समारोह में श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंग भी शामिल हुईं। माले रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर लिखा कि भारत स्थायी, लोकतांत्रिक, समृद्ध और शांतिपूर्ण मालदीव गणराज्य देखना चाहता है।

मोदी ने अपने दौरे से पहले कई ट्वीट करके कहा, ‘मैं सोलिह के नेतृत्व वाली मालदीव की नई सरकार के साथ मिलकर काम करने की भारत सरकार की इच्छा से अवगत कराऊंगा जिससे वह विकास की अपनी प्राथमिकताओं को पूरा कर सके।’ उन्होंने कहा कि मालदीव में हुए हालिया चुनाव लोगों की लोकतंत्र, कानून के शासन और समृद्ध भविष्य की इच्छा को प्रदर्शित करते हैं।

मोदी ने कहा है कि भारत और मालदीव के बीच मजबूत साझेदारी का लंबा इतिहास है। हमारे देशों के लोगों के बीच मजबूत संबंध हैं और शांति व समृद्धि के लिए दोनों की साझा आकांक्षा है।  

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TAGS: Ibrahim Mohamed Solih, President of Maldives, Prime Minister, Narendra Modi
OUTLOOK 17 November, 2018
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