राष्ट्र के नाम संबोधन में बोले इमरान खान- मैं कभी किसी के सामने नहीं झुकूंगा; जो भी फैसला हो, आखिर तक लडूंगा
बेशक गुरुवार को संसद ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ही सदन को 3 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया हो लेकिन पीएम इमरान खान लगातार देश में अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इस बीच देश को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि अमेरिका का हिमायती बनना मुशर्रफ की बड़ी गलती थी। मैं आजाद विदेश नीति का पक्षधर हूं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ लड़ा और उसने ही प्रतिबंध लगा दिए। उन्होंने कहा कि मैं भारत या किसी और से विरोध नहीं चाहता। रविवार को पाकिस्तान का फैसला होगा, जो भी नतीजा होगा, आखिर तक लडूंगा।
पाकिस्तान के विद्रोही प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को कहा कि वह बहुमत खोने के बावजूद इस्तीफा नहीं देंगे और जोर देकर कहा कि वह आखिरी गेंद तक खेलेंगे और रविवार को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे। जो तय करेगा कि देश किधर जाएगा।
69 वर्षीय खान ने एक 'खतरे के पत्र' पर भी चर्चा की और इसे उन्हें हटाने के लिए एक विदेशी साजिश का हिस्सा करार दिया क्योंकि वह एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के लिए स्वीकार्य नहीं थे। उन्होंने धमकी भरे पत्र के पीछे अमेरिका का नाम लिया, जो जुबान से फिसला हुआ प्रतीत हो रहा था।
इमरान खान ने कहा कि ये पाकिस्तान के लिए बड़े फैसले की घड़ी है। उन्होंने आरोप लगाया कि चोरी के पैसों से नेताओं को खरीदा जा रहा है। ये लोग मुल्क का सौदा कर रहे हैं। लोग आपको माफ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि रूस से मिलने से अमेरिका नाराज हो गया लेकिन यह मेरा अकेले का फैसला नहीं था। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ मोदी से छिप छिप कर मिलते थे। एक किताब में इसका जिक्र है।
उन्होंने कहा कि इस्लामिक रियासत बनाना हमारा मकसद था। इमरान खान ने कहा कि मेरे मेनिफेस्टो में इंसाफ दिलाना सबसे ऊपर था। अगर मेरे लिए इंसाफ जरूरी नहीं होता तो मैं राजनीति में क्यों आता, मेरे पास सब कुछ था। उन्होंने कहा कि जब मैं राजनीति में आया, तो मेरे तीन उद्देश्य थे - न्याय, मानवता और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना। हमारे सामने दो रास्ते हैं, जिनमें से एक रास्ते को हम चुनना चाहते हैं। मैं राजनीतिक शास्त्र का छात्र रहा हूं, इसलिए राजनीति में आया।
इमरान खान ने कहा कि ये पाकिस्तान के लिए बड़े फैसले की घड़ी है. इस्लामिक रियासत बनाना हमारा मकसद था. इमरान खान ने कहा कि मेरे मेनिफेस्टो में इंसाफ दिलाना सबसे ऊपर था.। अगर मेरे लिए इंसाफ जरूरी नहीं होता तो मैं राजनीतिमें क्यों आता। उन्होंने कहा कि मैं भाग्यशाली हूं कि भगवान ने मुझे सब कुछ दिया- प्रसिद्धि, धन, सब कुछ। मुझे आज किसी चीज की जरूरत नहीं है, उसने मुझे सब कुछ दिया जिसके लिए मैं बहुत आभारी हूं। पाकिस्तान मुझसे सिर्फ 5 साल बड़ा है, मैं आजादी के बाद पैदा होने वाले देश की पहली पीढ़ी से हूं।
इमरान खान ने कहा कि एक बच्चे के रूप में, मुझे याद है कि पाकिस्तान शीर्ष पर पहुंच रहा है। दक्षिण कोरिया यह जानने के लिए पाकिस्तान आया था कि हम कैसे आगे बढ़े, मलेशियाई राजकुमार मेरे साथ स्कूल में पढ़ते थे। मध्य पूर्व हमारे विश्वविद्यालयों में आया करता था। मैंने यह सब डूबते देखा है, अपने देश का अपमान देखा है। उन्होंने कहा कि मौलाना रूमी कहते हैं कि अल्लाह ने जब आपको पर दिए हैं तो आप क्यों चीटियों की तरह रेंग रहे हैं।
इमरान खा ने कहा कि राजनीति शुरू करते ही एक ही चीज मैंने कही थी कि न मैं झुकूंगा और न मैं अपनी कौम को किसी के सामने झुकने दूंगा। मैंने आजाद आजाद फॉरेन पॉलिसी के बारे में कहा था। मैं अमेरिका- इंग्लैंड और भारत के खिलाफ नहीं हूं। पइससे हले इमरान खान के घर पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की 37वीं बैठक हुई। इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षामंत्री, ऊर्जा मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री, गृहमंत्री, वित्त मंत्री, मानवाधिकार मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सहित कई मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे।