रूस को UNHRC से निकाले जाने से जुड़े प्रस्ताव पर यूएन में वोटिंग से फिर दूर रहा भारत
रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से संस्पेड करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पास हो गया है। महासभा में रूस को यूएनएचआरसी से सस्पेड करने के प्रस्ताव पर भारत ने मतदान प्रक्रिया से खुद को बाहर रखा। रूस के निलंबन पर जो वोटिंग हुई उसमें पक्ष में 93 वोट डाले गए वहीं विपक्ष में 24 वोट पड़े। वहीं 58 देशों ने इस वोटिंग से खुद को अलग रखा।
महासभा के आपातकालीन सत्र में वोटिंग से पहले यूक्रेन के प्रतिनिधि ने कहा, "हम अब एक अनोखी स्थिति में हैं, जब किसी अन्य संप्रभु राज्य के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का एक सदस्य भीषण मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है और हनन करता है, जो मानवता के खिलाफ युद्ध अपराधों और अपराधों के बराबर है।" यूक्रेन के प्रतिनिधि ने कहा, "रूसी संघ की सदस्यता के अधिकारों का निलंबन एक विकल्प नहीं है, बल्कि एक कर्तव्य है।"
महासभा में रूस ने कहा, "हम इस मसौदा प्रस्ताव को वोटिंग के लिए रखना चाहते हैं और यहां उपस्थित सभी लोगों से असल में आपके निर्णय पर विचार करने और पश्चिमी देशों और उनके सहयोगियों की ओर से मौजूदा मानवाधिकार वास्तुकला को नष्ट करने के प्रयास के खिलाफ वोटिंग करने का आह्वान करना चाहते हैं।"
भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने देश का पक्ष रखते हुए कहा कि हम यूक्रेन में मौजूद ताजा हालात को लेकर चिंतित हैं और हम चाहते हैं कि ये जल्द से जल्द समाप्त हो। जब निर्दोष लोगों की जान दांव पर हो ऐसे में कूटनीतिक रास्ते से समस्या का हल खोजना ही एकमात्र विकल्प है। बूचा नरसंहार पर बोलते हुए भारत के प्रतिनिधि त्रिमूर्ति ने कहा कि बूचा में नागरिकों की मौत की तस्वीरें काफी विचलिच करने वाली हैं। हम इस घटना की स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं और हम स्पष्ट रूप से इन हत्याओं की निंदा करते हैं।
यूक्रेन की राजधानी कीव के उपनगर बुचा से सामने आई नागरिकों के शवों की भयावह तस्वीरों और वीडियो के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने रूस को 47-सदस्यीय मानवाधिकार परिषद से हटाने का आह्वान किया था। यूक्रेन पर रूसी हमले के दौरान ही अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, महासभा और मानवाधिकार परिषद में अलग-अलग मौकों पर रूस के खिलाफ अब तक 10 प्रस्तावों को पेश किया जा चुका है। इन सभी प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान भारत ने हिस्सा नहीं लिया था।