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12 September 2017

रोहिंग्या मुस्लिमों पर UN की आलोचना पर भारत का जवाब, सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं कर सकते

जैद राद अल हुसैन (बाएं), रोहिंग्या शरणार्थी. FILE PHOTO.

संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) ने म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों, गाय के नाम पर हो रही हिंसा और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर भारत की आलोचना की थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संघ के प्रमुख जैद राद अल हुसैन रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से वापस भेजने की नरेंद्र मोदी सरकार की कोशिशों की निंदा की। इस पर अब भारत की तरफ से आधिकारिक बयान आया है।

अल हुसैन ने कहा था कि,’भारत के गृह राज्य मंत्री ने कथित रूप से बयान दिया है कि चूंकि भारत रिफ्यूजी कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने वाला देश नहीं है इसलिए भारत इस मामले पर अंतर्राष्ट्रीय कानून से हटकर काम कर सकता है, लेकिन बुनियादी मानव करुणा के साथ।’ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख के मुताबिक भारत का ये कदम अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और प्रावधानों के दायरे में विधिसंगत नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘हालांकि प्रचलित कानून के आधार पर भारत रोहिंग्या मुसलमानों का उन देशों या उन इलाकों में सामूहिक निष्कासन नहीं कर सकता है जहां उन पर अत्याचार होने की आशंका है या फिर उन्हें निशाना बनाया जा सकता है।’ सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त भारत में 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं इनमें से 16 हजार लोगों ने शरणार्थी दस्तावेज भी हासिल कर लिए हैं।

भारत की तरफ से जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत राजीव वी चंदर ने कहा है कि भारत हमेशा विपरीत परिस्थितियों में भी स्वतंत्रता और अधिकारों का हिमायती रहा है। भारत की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'हम हाई कमिश्नर की बातों से हैरान हैं। उनकी बातों में रोजमर्रा की आजादी और अधिकारों की कम प्रशंसा दिखी। चयनित और अधूरी रिपोर्ट के आधार पर लिए गए निर्णय से किसी समाज में मानव अधिकारों की समझ में कोई इजाफा नहीं होता।'

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<blockquote class="twitter-tweet" data-lang="en"><p lang="en" dir="ltr">Statement by INDIA at UN <a href="https://twitter.com/hashtag/HRC36?src=hash">#HRC36</a>, Geneva <br>delivered by Ambassador Rajiv K. Chander<br>+Read <a href="https://t.co/kaJa6Eg22C">https://t.co/kaJa6Eg22C</a> <a href="https://t.co/49mRE0f6uY">pic.twitter.com/49mRE0f6uY</a></p>&mdash; India at UN, Geneva (@IndiaUNGeneva) <a href="https://twitter.com/IndiaUNGeneva/status/907530461320241154">September 12, 2017</a></blockquote>
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इस बात पर बल देते हुए कि भारत भी अवैध प्रवासियों को लेकर चिंतित है, चंदर ने कहा कि नई दिल्ली सुरक्षा मानकों को नजरंदाज नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों की तरह ही भारत भी अवैध प्रवासियों को लेकर चिंतित है, इस संभावना के साथ कि वे सुरक्षा को चुनौती भी दे सकते हैं।

वहीं, मंगलवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि भारत अवैध प्रवास को लेकर अपने कड़े रुख पर कायम रहेगा। उन्होंने कहा कि हम प्रवासियों और विस्थापितों के लिए मानवीय दृष्टिकोण रखते हैं लेकिन हम अवैध घुसपैठ के कड़े विरोधी हैं। इसी महीने गृह राज्य मंत्री किरण रिजुजु ने कहा था कि रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं।

क्या कहा था संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संघ प्रमुख ने?

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र को संबोधित करते हुए जैद राद अल हुसैन ने पहले 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले की बरसी का उल्लेख किया और फिर म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर चिंता प्रकट की। उन्होंने बुरूंडी, वेनेजुएला, यमन, लीबिया और अमेरिका में मानवाधिकार से जुड़ी चिंताओं के बारे में बात की। जैद ने कहा कि हिंसा की वजह से म्यांमार से 270,000 लोग भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश पहुंचे हैं। उन्होंने सुरक्षा बलों और स्थानीय मिलीशिया द्वारा रोंहिंग्या लोगों के गांवों को जलाए जाने’ और अन्यायपूर्ण हत्याएं किए जाने की खबरों और तस्वीरों का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि म्यामांर ने मानवाधिकार जांचकर्ताओं को जाने की इजाजत नहीं दी है, इसलिए मौजूदा स्थिति का पूरी तरह से आकलन नहीं किया जा सकता, लेकिन यह ‌स्थिति नस्ली सफाए का उदाहरण प्रतीत हो रही है।’’ उधर, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि म्यामांर के रखाइन प्रांत में ताजा हिंसा की वजह से 25 अगस्त से अब तक 3,13,000 रोहिंग्या बांग्लादेश की सीमा में दाखिल हो चुके हैं। म्यांमार के मध्य हिस्से में एक मुस्लिम परिवार के मकान पर पथराव करने वाली भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं। भीड़ ने मागवे क्षेत्र में रविवार रात हमला किया थ्‍ाा।

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TAGS: united nations, gauri lankesh, rohingya muslim, un, human rights
OUTLOOK 12 September, 2017
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