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20 April 2019

भारत ने पाकिस्तान के साथ कारोबार किया निलंबित, आतंकवाद पर लगेगा अकुंश

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जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) से रास्ते होने वाला कारोबार भारत ने पिछले 18 अप्रैल को निलंबित कर दिया। कभी इस कारोबार को कश्मीर के मसले पर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए विश्वास बहाली कदम के तौर पर अहमियत दी गई थी। लेकिन शुरू से ही इसको लेकर सवाल उठते रहे हैं क्योंकि पारदर्शिता के अभाव में इसके जरिये आतंकवाद का पोषण होने की आशंका पैदा हो गई। आतंकवाद पर अंकुश के लिए ही कारोबार को निलंबित करने का फैसला किया गया।

अदला-बदली प्रणाली से होता है कारोबार

सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि विश्वास बहाली का यह कदम जल्दबाजी में उठाया गया था। जबकि समुचित तंत्र न होने के कारण कारोबारियों को लगातार दिक्कतें आती रहीं। देश में यह एकमात्र कारोबार है जो विनियम यानी अदला-बदली प्रणाली पर होता है। इसके बारे में कई लोगों का मानना है कि इस कारोबार का तंत्र बहुत ही ढीला है। जिसके कारण पाकिस्तान इसका इस्तेमाल गलत इरादे से कर सकता है।

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मकसद से भटक गई व्यापार व्यवस्था

2003 में संघर्ष विराम समझौते के बाद भारत और पाकिस्तान ने अप्रैल, 2005 में में नियंत्रण रेखा के आर-पार बस से शुरू करने का समझौता किया था। इससे 1947 में विभाजन के बाद अलग हुए जम्मू कश्मीर के परिवार आपस में मिल सकें। ऐसे अधिकांश परिवार जम्मू कश्मीर के पुंछ और राजौरा जिलों में रहते हैं। बस सेवा के तीन साल बाद 21 अक्टूबर 2008 को नियंत्रण रेखा से होकर कारोबारी शुरू किया गया। ये सेवाएं शुरू होने के समय देश में यूपीए सरकार थी। जैसे बस सेवा अविभाजित जम्मू कश्मीर के विभाजित परिवारों के लिए सीमित थी, उसी तरह कारोबार भी जम्मू कश्मीर और पीओके के बीच हो सकता था। लेकिन कई वर्षों के बीत ये व्यवस्था अपने मूल मकसद से भटक गई।

अलगाववाद और आतंकवाद के लिए इस्तेमाल

जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक के. राजेंद्र ने ‘आउटलुक’ को बताया कि सुरक्षा अधिकारी इस व्यापार व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए भारत सरकार से लगातार अनुरोध कर रहे थे। कई बार पीओके से आने वाले ट्रकों से उच्च क्वालिटी की हेरोइन बरामद की गई। चूंकि यहां कारोबार अदला-बदली आधार पर होता है, इसलिए पाकिस्तानी व्यापारी प्रायः इन्वॉयस में कम कीमत दिखाते हैं और बाकी पैसा पाकिस्तानी हैंडलर्स के जरिये भेजते हैं जो अलगाववाद और आतंकवाद में इस्तेमाल होता है।

बड़ी मात्रा में पकड़े गए मादक पदार्थ

जुलाई 2017 को करीब 300 करोड़ रुपये की 66.5 किलो हेरोइन पाकिस्तानी ट्रक से बरामद की गई और इसके ड्राइवर सैयद यूसुफ को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह जनवरी 2016 में 100 किलो हेरोइन और 100 किलो ब्राउन शुगर बरामद की गई। ये ड्रग्स भी एलओसी होते हुए पीओके से जम्मू कश्मीर में आने वाले ट्रकों से बरामद की गई। ये सभी खेपें कश्मीर क्षेत्र में ही पकड़ी गई। जम्मू में नहीं पकड़ी गईं, जहां पाकिस्तान आतंकवाद को सबसे ज्यादा पैसा भेजता है।

कारोबार निलंबन से अटक गए 35 ट्रक

एलओसी होते हुए कारोबार कश्मीर में सलामाबाद और जम्मू क्षेत्र के पुंछ क्षेत्र में चाकन-दा-बाग से होता है। इस साल 18 अप्रैल को जब व्यापार निलंबित करने की घोषणा की गई, पूंछ के क्रॉस-एलओसी ट्रेड सेंटर पर 35 ट्रक रुक गए। इन ट्रकों को 19 अप्रैल को नियंत्रण रेखा पार करनी थी। अधिकारियों ने उन्हें आने की अनुमति नहीं दी।

समुचित तंत्र और नोडल अधिकारी की जरूरत

कारोबारियों का कहना है कि सीमा पार से फायरिंग होने के कारण नियमित रूप से कारोबार निलंबित होने और नियमित तंत्र न होने के कारण उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। क्रॉस-एलओसी ट्रेडर्स एसोसिएशन, पुंछ के अध्यक्ष पवन आनंद ने आउटलुक को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से लिए गए इस फैसले का हम समर्थन करते हैं। लेकिन भविष्य में जब भी कारोबार दोबारा शुरू हो, सरकार को व्यापार के लिए समुचित नियम और प्रक्रिया बनानी चाहिए और सिर्फ नोडल अधिकारी नियुक्त करना चाहिए। अभी इस कारोबार की निगरानी क्रॉस-एलओसी ट्रेड के कस्टोडियन ( जम्मू कश्मीर सरकार से नियुक्त अधिकारी) और ट्रेड फैसेलिटेशन ऑफिसर (केंद्र सरकार के अधिकारी) और सुरक्षा बलों द्वारा की जाती है।

बड़े पैमाने पर हो रहा था कारोबार

2008 में कारोबार शुरू होने के बाद से 23,632 भारतीय ट्रक माल खासकर खाद्य वस्तुएं लेकर गए। इनके जरिये 9467 करोड़ रुपये (भारतीय मुद्रा में) का कारोबार हुआ। जबकि पाकिस्तान से 12362 ट्रक भारत आए। इनसे 8259 करोड़ रुपये (भारतीय मुद्रा में) मूल्य की वस्तुएं भारत भेजी गई। इस तरह दोनों ओर से 35,30,919 क्विंटल माल का दोतरफा कारोबार हुआ। लेकिन रजिस्ट्रेशन की कमियों का फायदा उठाकर कई लोग भारत में व्यापारी का पंजीयन करवा लेते हैं जबकि उन्हें कारोबार का अनुभव नहीं होता है। आरोप लगाए जाते हैं कि बाहरी व्यापारी मुख्यतौर पर पंजाब, दिल्ली और यहां तक कि मुंबई के व्यापारी एजेंटों के जरिये कारोबार करने लगते हैं।

गाइडलाइन का उल्लंघन भी हुआ

गृह मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान जाकर आतंकी संगठनों से जुड़ चुके कुछ लोगों ने पाकिस्तान में फर्म खोल ली हैं। कारोबारियों के अनुसार गृह मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी की है कि दो व्यापारियों के बीच बकाए भुगतान का बैलेंस एक लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कारोबारियों का आरोप है कि कई व्यापारियों पर बकाया भुगतान बैलेंस 50 लाख रुपये तक हो गया है फिर भी वे कारोबार कर रहे हैं। इससे हवाला लेनदेन का संदेह पैदा होता है।

नकली नोट भी पकड़े गए

गृह मंत्रालय ने कहा है कि एलओसी से होकर गुजरने वाली विभिन्न खेपों में 57 लाख, 20 लाख, 15 लाख और 7.5 लाख रुपये के नकली नोट भी बरामद किए गए। बैंकिंग सिस्टम के अभाव में समुचित खातों का रखरखाव भी नहीं होता है।

पाकिस्तानी सरकार कारोबार के लिए बैंकिंग सिस्टम लागू करने की भारतीय मांग को लगातार नकारती रही है।

पाकिस्तान नहीं चाहता बैकिंग सिस्टम

एक सरकारी अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर आउटलुक को बताया कि पाकिस्तान जानबूझकर बैंकिंग सिस्टम नहीं चाहता है क्योंकि इससे दोनों संप्रभु देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय कारोबार का दर्जा मिल जाएगा। ऐसा होने पर यह कारोबार जम्मू कश्मीर और पीओके के बीच नहीं रह जाएगा जो पाकिस्तान के इस दावे के विपरीत होगा कि जम्मू कश्मीर विवादित क्षेत्र है।

कर चोरी के लिए भी बना रास्ता

समूचे जम्मू कश्मीर में करीब 800 व्यापारी पंजीकृत है पीओके में भी व्यापारियों की संख्या लगभग इतनी ही है। पिछले तीन साल में दोनों ओर के व्यापारियों ने को बैठक नहीं की है। जबकि समझौते के अनुसार यह बैठक हर 15 दिनों के बाद होनी चाहिए। शुरू में 21 वस्तुओं का कारोबार होना था। इन वस्तुओं में स्थानीय उत्पाद भी शामिल थे। लेकिन बाद में यह सूची लंबी हो गई और देश के दूसरे हिस्सों में पैदा होने वाली वस्तुएं जैसे केला, काजू और अंगूर भी शामिल हो गए।

कई शिकायतें मिलती है कि जम्मू कश्मीर से बाहर से व्यापारी कर चोरी के लिए गलत तरीकों से कारोबार करने लगते हैं। जबकि इनका वाघा सीमा से कारोबार करने पर टैक्स लगता है। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तानी पंजाब के व्यापारी बड़े पैमाने पर इस तरह से कारोबार करते हैं। ये व्यापारी अलगाववादियों और आतंकवाद के लिए पैसा भेजने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। पिछले एक दशक में ट्रकों के लिए बॉडी स्कैनर नहीं लग पाया जबकि इसका काम तीन साल पहले शुरू हो गया था।

पहले ही निलंबित होना चाहिए था कारोबार

जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी का कहना है कि बैंकिंग सिस्टम लागू नहीं है। ट्रकों की स्कैनिंग नहीं हो रही है। इस वजह से बड़े पैमाने पर अंडर-बिलिंग हो रही है। ऐसे में क्या पाकिस्तान आसानी से फायदा उठाकर जम्मू कश्मीर में गड़बड़ी पैदा नहीं कर सकता है? भारत को व्यापार निलंबित करना का फैसला तीन साल पहले ही ले लेना चाहिए था।

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TAGS: India, pakistan, trade relations, terrorism
OUTLOOK 20 April, 2019
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