नेपाल के नए नक्शे को भारत ने किया खारिज, कहा- न कोई ऐतिहासिक आधार है और न साक्ष्य
भारत के साथ सीमा विवाद के बीच, नेपाल की संसद ने शनिवार को संविधान संशोधन बिल पास कर दिया है। इस संशोधन के तहत नए राजनैतिक नक्शे को मंजूरी दी गई जिसमें भारत के तीन इलाके लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख भी शामिल किए गए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने नक्शे को खारिज करते हुए कहा है कि कृत्रिम तरीके से किए गए ऐसे क्षेत्र विस्तार का न तो ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित है और न ही तार्किक है। इससे पहले भी भारत ने इस नक्शे को खारिज करते हुए इसे अनुचित मानचित्र संबंधी दावा बताया था।
संसद के प्रवक्ता रूजनाथ पांडे ने कहा कि प्रतिनिधि सभा ने विचार-विमर्श के बाद मतदान के लिए चर्चा शुरू की, जो विचार-विमर्श के बाद मतदान के लिए रखी गई थी। उन्होंने कहा कि सदन शनिवार को मतदान करने के लिए विधेयक लाने के लिए काम कर रहा था। वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया।
राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा
नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा। संसद ने नौ जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी जिससे नए नक्शे को मंजूर किये जाने का रास्ता साफ होगा।
विशेषज्ञों के कार्यबल का गठन किसलिये
बुधवार को सरकार ने विशेषज्ञों की एक नौ सदस्यीय समिति बनाई थी जो इलाके से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और साक्ष्यों को जुटाएगी। कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए हालांकि कहा कि नक्शे को जब मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूर कर जारी कर दिया है तो फिर विशेषज्ञों के इस कार्यबल का गठन किसलिये किया गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते का उद्घाटन किया, तभी नेपाल ने इसका विरोध किया था। उसके बाद 18 मई को नेपाल ने नया नक्शा जारी कर दिया। भारत ने साफ कहा था कि 'नेपाल को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए। नेपाल के नेतृत्व को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिससे बैठकर बात हो सके।