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06 October 2016

कंपनियों के लिये भारत या चीन को छोड़कर कोई और जगह नहीं: श्रीलंका

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे। फोटो-पीटीआई

उन्होंने कृषि से संबंधित आर्थिक नीतियों के संदर्भ में अलग-अलग व्यवहार को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना की और कहा, एशिया को अगर नियम (नीतियां) बनाने की अनुमति दी जाए तो यह विश्व को आर्थिक संकट से उबार देगा। विक्रमसिंघे ने कहा, इस साल डब्ल्यूइएफ दिल्ली में है जो यह कहता है कि दुनिया यह अपेक्षा करती है कि भारत संभावनाओं को हकीकत में बदले....हम एक और ऐेतिहासिक क्षण की दहलीज पर हैं। अगर सुधारों की गति तेजी से आगे नहीं बढ़ती है, कंपनियां किसी और जगह को देख सकती हैं। पर कहां?  यह भारत और चीन हैं। यह वास्तविकता है। आज कोई ऐसी जगह नहीं हैं जहां आप जाएं।

विश्व आर्थिक मंच और सीआईआई द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भारत आर्थिक मंच में श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने पूर्वाग्रह ग्रस्त होने को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना की। उन्होंने कहा, पश्चिमी देशों ने वैश्वीकरण पर नियम लिखे और हमें केवल उसके आधार पर चलना है। जब लोग वहां गये और अपने कोष तथा संपत्ति पश्चिमी देशों में जमा की, किसी ने शिकायत नहीं की। जब उनके लोग (पश्चिमी देशों) स्विट्जरलैंड जाने लगे, उन्होंने शिकायत करना शुरू कर दिया। विक्रमसिंघे ने कहा, विश्व को आर्थिक संकट से एशिया बाहर निकालेगा....अन्यथा हम स्वयं यहां (एशिया) प्रणाली विकसित करेंगे जो बेहद स्थिर प्रणाली होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ श्रीलंका इस साल आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ईटीसीए) करेगा।

इससे पहले, शिखर सम्मेलन में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा था कि वैश्विक आर्थिक माहौल उत्साहजनक नहीं है और दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व एशिया दुनिया के लिये वृद्धि का इंजन बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत समान और समावेशी वृद्धि को लेकर दृढ़संकल्प है। वेदांता रिसोर्सेस के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये लघु एवं मझौले उद्यमों के विकास पर जोर दिया।

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TAGS: Sri Lanka, Prime Minister, Ranil Wickramasinghe, India, China, श्रीलंका, प्रधानमंत्री, रानिल विक्रमसिंघे, भारत, चीन, आर्थिक वृद्धि
OUTLOOK 06 October, 2016
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