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04 November 2019

RCEP समझौते में शामिल नहीं होगा भारत, कहा- मूल उद्देश्य से यह अलग, नतीजे होंगे असंतुलित

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड दौरे के तीसरे दिन सोमवार को 14वें ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) ट्रेड समझौते में भारत ने शामिल होने से इनकार कर दिया है। भारत ने कहा कि प्रधानमंत्री का रुख इस मामले पर स्पष्ट है। समझौते के अहम मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है और भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। आरसीईपी समझौता अपने मूल उद्देश्य को नहीं दर्शाता है और इसके नतीजे संतुलित नहीं होंगे। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने आयात की अधिकता की सुरक्षा के लिए अपर्याप्त व्यवस्था, चीन के साथ अपर्याप्त अंतर, नियमों में बदलाव की आशंका, बाजार की अनुपलब्धता जैसे विषयों को लेकर चिंता जाहिर की थी।

किसानों, व्यापारियों, उद्योगों का काफी कुछ दांव पर: पीएम मोदी

बैंकॉक में आरसीईपी समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आरसीईपी की कल्पना करने से हजारों साल पहले भारतीय व्यापारियों, उद्यमियों और आम लोगों ने इस क्षेत्र के साथ संपर्क स्थापित किया था। सदियों से इन संपर्कों और संबंधों ने हमारी साझा समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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उन्होंने कहा कि हमारे किसानों, व्यापारियों और उद्योगों का काफी कुछ दांव पर है। कर्मचारी और उपभोक्ता हमारे लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। पीएम ने कहा कि आज जब हम आरसीईपी के सात वर्षों की वार्ता को देखते हैं तो वैश्विक आर्थिक और व्यापार परिदृश्य सहित कई चीजें बदल गई हैं। हम इन परिवर्तन को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। मौजूदा आरसीईपी समझौता आरसीईपी की मूल भावना को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता है।

आरसीईपी में कई मुद्दे अभी स्पष्ट नहीं: विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय के सचिव विजय ठाकुर सिंह ने कहा था कि भारतीय प्रतिनिधि आरसीईपी व्यापार सौदे से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने में जुटे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह बेहतर और पारदर्शी है। कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जो अभी भी स्पष्ट नही हैं। यह मुद्दे हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे लोगों की आजीविका के लिए बेहद जरूरी हैं।

सदस्य देश आरसीईपी पर समीक्षा करेंगे

समिट के दौरान सदस्य देश (आसियान और 6 अन्य देश) आरसीईपी पर अब तक हुई वार्ता की समीक्षा करेंगे। आरसीईपी का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना है। आरसीईपी में आसियान के 10 देश जैसे ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, लाओस और वियतनाम और उनके छह एफटीए साझेदार चीन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।

क्या है आरसीईपी समझौता

आरसीईपी एक ट्रेड एग्रीमेंट है जो कि सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में कई सहूलियत देगा। इसके तहत निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं देना पड़ेगा या तो बहुत कम देना होगा. इसमें आसियान के 10 देशों के साथ अन्य 6 देश हैं।

किसान कर रहे थे समझौते का विरोध

आरसीईपी में भारत के शामिल होने के खिलाफ किसान देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। खासकर किसान संगठनों कड़ी आपत्ति जता रहे थे। किसानों का कहना है कि यह संधि होती है तो देश के एक तिहाई बाजार पर न्यूजीलैंड, अमेरिका और यूरोपीय देशों का कब्जा हो जाएगा और भारत के किसानों को इनके उत्पाद का जो मूल्य मिल रहा है, उसमें गिरावट आ जाएगी।

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TAGS: RCEP, India, Mega Asian Trade Deal
OUTLOOK 04 November, 2019
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