पंजशीर में तालिबान से आमने-सामने की टक्कर के हालात, मुकाबले को तैयार मसूद के लड़ाके, रक्षा मंत्री ने कहा-जंग जारी रहेगी
तालिबान और पंजशीर की फौज आमने-सामने में है। निर्वासित अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार में रक्षा मंत्री, जनरल बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने ऐलान किया है किया है कि वे पंजशीर की सुरक्षा करते रहेंगे। उन्होंने कहा है कि पंजशीर घाटी तालिबानी ताकतों का विरोध लगातार करती रहेगी और घाटी में जंग जारी रहेगी। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब पंजशीर को छोड़कर अफगानिस्तान की सत्ता पर पूरी तरह से तालिबान काबिज हो गया है।
ऐसी स्थिति में जनरल बिस्मिल्लाह मोहम्मदी के ऐलान को तालिबान के लिए बड़ी चुनौती मानी जा रही है। पंजशीर में सेना तालिबान से टक्कर लेने के लिए तैयार है। जाहिर तौर पर तालिबान के लिए भी पंजशीर घाटी पर फतह कर करना अब भी सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है।
वहीं, तालिबान ने कहा है कि अगर अहमद मसूद सरेंडर नहीं करते हैं तो बल प्रयोग होगा। तालिबान ने अफगानिस्तान के 33 प्रांतों पर कब्जा कर लिया है, सिर्फ एक पंजशीर प्रांत ही ऐसा है, जहां तालिबान की सत्ता नहीं है। पंजशीर में अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, काबुल में तालिबान के कब्जे से पहले ही देश छोड़कर भाग गए थे. उन्होंने यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) में शरण ली है। हाल ही में खुद यूएई की तरफ से पुष्टि की गई थी और कहा गया था कि मानवीय आधारों पर उन्हें शरण दी गई है।
तालिबान ने पंजशीर घाटी से अब तक दूरी बनाकर रखी है। पंजशीर का मतलब होता है पांच शेरों की घाटी। यहां तालिबान का जोर नहीं चल रहा है। इसे अफगानिस्तान का अभेद्य किला माना जा रहा है। पंजशीर के लोगों का कहना है कि वे तालिबानी ताकतों के खिलाफ डटकर मुकाबला करेंगे। यहां के लोगों को तालिबान से खौफ नहीं है। पंजशीर घाटी की आबादी महज 2 लाख है। काबुल के उत्तर में यह इलाका महज 150 किलोमीटर दूर है। पहले भी यहां तालिबान का जोर नहीं चला था। तालिबान को करारी हार मिली थी।