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22 June 2017

‌पाक में मेंहदी हसन का मकबरा बनाने के लिए बेटे ने की भारत से मदद की गुहार

‘दरअसल, सुर के उस बादशाह की 13 जून, 2012 को कराची में हुई मौत के बाद पाकिस्तान की केंद्र सरकार और सिंध की प्रांतीय सरकार दोनों ने यह वादा किया था कि उनकी (मेंहदी हसन) याद में एक मकबरा बनाएंगे। लेकिन पांच साल का समय बीतने के बाद भी उस मामले में कोई प्रगति नहीं दिखाई दे रही। इस बात से उनके परिजन और सुरप्रेमी दुखी हैं। हसन के छह बेटों में से एक आरिफ ने भारत सरकार से अपील की है कि वह उनकी इस कार्य में मदद करे।

आरिफ ने कराची से पीटीआई को बताया,  " अब्बा के इंतकाल के बाद सरकार ने उनकी याद में एक लाइब्रेरी और मकबरा बनवाने का वादा किया था। पांच साल बीत जाने के बाद भी हम उसका इंतजार कर रहे हैं। पिछले हफ्ते उनकी पांचवीं बरसी पर भी हम उम्मीद में थे। उन्होंने कहा, "अब हमारा धैर्य टूट गया इसलिए हम मकबरा तामीरी में भारत सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं। उस तरफ यानी भारत में हसन साहब के प्रशंसक बड़ी तादाद में हैं और वहां उनको बेहद प्यार मिला है।

दिल को छूने वाली मीठी आवाज के धनी और फिजां मे हमेशा मौजूद रहने वाले हिट गजलों जैसेः ‘पत्ता पत्ता, बूटा बूटा’ और  'कब के बिछड़े' वगैरह के नाते शहंशाह-ए-गजल के नाम से मशहूर हसन साहब का जन्म 18 जुलाई, 1927 को  झुंझुनू (राजस्‍थान) के लूना गांव में हुआ था। विभाजन के बाद वे परिवार के साथ पाकिस्तान चले आए थे।

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आरिफ ने आगे कहा, " हमारे अथक प्रयास से मकबरे संबंधी जमीन पर अभी सिर्फ फेंसिंग हो पाई है। लेकिन वहां कीचड़ और पानी जमा रहता है। बच्चे क्रिकेट खेलते हैं, लोग अपनी बकरियां चराते हैं। यही नहीं, खाली पड़े रहने की वजह से वहां अराजक तत्वों का अड्डा जमता है।’’ इस बीच हसन साहब के नजदीकी पारिवारिक दोस्त और ऑर्टिस्टबुकिंग डॉट कॉम के संस्‍थापक मनमीत सिंह ने कहा, "पाकिस्तान सरकार को कुछ करते न देखकर मैंने मेंहदी हसन की मौत के पाकिस्तान जाने वाले  हरिहरन, हंसराज हंस और तलत अजीज आदि से बात की, वे सभी और अन्य अनेक भारतीय कलाकार मदद को तैयार हैं।"

हसन साहब के शिकागो (अमेरिका) में प्रवास कर रहे बेटे कामरान जो कि खुद गजल गायक हैं, ने भारत सरकार खास कर पीएम नरेन्द्र मोदी से उनके राजस्‍थान स्थित जन्म-स्‍थान पर एक ट्रिब्यूट प्रोग्राम आयोजित करने का निवेदन किया है। महान गायक हसन शास्‍त्रीय संगीत अपने पिता उस्ताद अजीम खान और चचा इस्माइल खान से सीखा था। आरिफ पिता की आखिरी भारंत यात्रा में भारत आए थे लेकिन कामरान अमेरिकन सरकार से अपील के बावजूद वीजा न मिलने की वजह से 2005 के बाद नहीं आ सके। 

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TAGS: मेंहदी हसन, पाकिस्तान, विशाल मकबरा , तामीर, भारत से मदद, गुहार, आरिफ, कामरान, मनजीत ‌सिंह,
OUTLOOK 22 June, 2017
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