श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने पलटा संसद बर्खास्त करने का राष्ट्रपति का फैसला
श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संसद भंग करने के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के फैसले को पलट दिया है तथा चुनाव की तैयारियों पर भी रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस नलिन परेरा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने यह फैसला सुनाया।
सिरीसेना ने 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से बर्खास्त कर दिया था और उनके स्थान पर पूर्व प्रेजिडेंट महिंदा राजपक्षे को नियुक्त किया था। इस घटनाक्रम के बाद सिरीसेना ने संसद भंग करते हुए 5 जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। श्रीलंका के अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नैशनल पार्टी ने सिरीसेना के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उनकी याचिका पर ही यह फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से श्रीलंका में चल रहे राजनीतिक संकट ने नया मोड़ ले लिया है।
याचिका दायर कर दी थी चुनौती
याचिका में कहा गया था कि संविधान के 19वें संशोधन के मुताबिक राष्ट्रपति संसद को साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग नहीं कर सकते। जबकि मौजूदा संसद का कार्यकाल अगस्त, 2020 तक है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपदस्थ किए गए रानिल विक्रमसिंघे ने खुशी जताते हुए ट्वीट किया है। विक्रमसिंघे ने लिखा, 'जनता को पहली जीत मिली है। अभी और बढ़ना है और अपने प्यारे देश में लोगों को एक बार फिर से संप्रभुता की बहाली करनी है।'