संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार से ही वैश्विक संघर्षों से निपटा जा सकता है: भारत
भारत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अगले साल 80 वर्ष पूरे होने पर अब वक्त आ गया है कि सुरक्षा परिषद के स्थायी तथा अस्थायी सदस्यों का विस्तार कर उसमें सुधार किया जाए ताकि वह मौजूदा वैश्विक संघर्षों से प्रभावी रूप से निपट सके।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में मंत्री प्रतीक माथुर ने कहा कि वैश्विक शासन सुधारों पर चर्चा के तौर पर संयुक्त राष्ट्र में प्रदर्शन आकलन पर ध्यान केंद्रित होने के साथ ही सुरक्षा परिषद को भी अपनी विश्वसनीयता साबित करने और अपने प्रदर्शन में सुधार करने की आवश्यकता है।
माथुर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वार्षिक रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में चर्चा के दौरान भारत की ओर से मंगलवार को कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के 80 वर्ष पूरे होने से एक साल पहले आज 2024 में अब वक्त आ गया है कि परिषद संपूर्ण सदस्यता की ओर से काम करने के लिए अपने चार्टर की जिम्मेदारियों के अनुरूप सुधार करे।’’
उन्होंने कहा कि भारत इस बात को लेकर आश्वस्त है कि सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में विस्तार कर उसका व्यापक सुधार ही इकलौता उपाय है। उन्होंने कहा, ‘‘केवल इससे ही परिषद दुनियाभर में मौजूदा संघर्षों से प्रभावी रूप से निपट सकती है।’’
भारत वर्षों से सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत करते हुए कहता रहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र की इस शीर्ष संस्थान का स्थायी सदस्य बनने का हकदार है।
भारत आखिरी बार 2021-22 में परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर शामिल हुआ था। उसने 2028-29 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र के इस शक्तिशाली संस्थान के अगले कार्यकाल के लिए उम्मीदवारी की घोषणा की है।
पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद में केवल पांच स्थायी सदस्य - चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं जिनके पास ‘वीटो’ का अधिकार है। बाकी के 10 सदस्यों का चुनाव दो साल के कार्यकाल के लिए अस्थायी सदस्यों के रूप में किया जाता है और उनके पास ‘वीटो’ का अधिकार नहीं होता है।