भारत ने किया श्रीलंका में सैनिक भेजने के अफवाहों का खंडन, कहा- स्थिरता और लोकतंत्र का करता है पूरा समर्थन
भारतीय उच्चायोग ने बुधवार को नई दिल्ली द्वारा अपने सैनिकों को कोलंबो भेजने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि भारत श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का पूरा समर्थन करता है।
भारतीय मिशन ने स्थानीय सोशल मीडिया पर चल रहे इस तरह के खबरों को "फर्जी और स्पष्ट रूप से झूठा" करार दिया है। भारत ने इस बात की भी खंडन किया है कि श्रीलंका पूर्व प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के सदस्य भारत भाग गए हैं।
बता दें कि महिंदा राजपक्षे के सोमवार को इस्तीफे के बाद से उनके ठिकाने के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं। यह बताया गया था कि महिंदा ने अपने कार्यालय-सह-आधिकारिक निवास, टेंपल ट्रीज़ को छोड़ दिया था।
श्रीलंका की स्थिति पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में, भारत ने मंगलवार को कहा कि वह द्वीप राष्ट्र के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का "पूरी तरह से समर्थन" करता है।
भारतीय मिशन ने ट्विटर पर कहा, "उच्चायोग मीडिया और सोशल मीडिया के वर्गों में भारत द्वारा श्रीलंका में अपनी सेना भेजने के बारे में रिपोर्टों का स्पष्ट रूप से खंडन करना चाहेगा। ये रिपोर्ट और इस तरह के विचार भारत सरकार की रुख के अनुरूप नहीं हैं।"
एक अन्य ट्वीट में भारतीय मिशन कहा, "भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कल स्पष्ट रूप से कहा कि भारत श्रीलंका के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का पूरा समर्थन करता है।" गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को नई दिल्ली में कहा: "भारत हमेशा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से व्यक्त श्रीलंका के लोगों के सर्वोत्तम हितों द्वारा निर्देशित होगा।"