भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिया बड़ा बयान, "श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का समर्थन करता है भारत"
श्रीलंका में बढ़ती महंगाई, बिजली की कटौती सहित गंभीर आर्थिक संकट के कारण उत्पन्न समस्याओं के बीच भारत ने मंगलवार को कहा कि श्रीलंका के करीबी पड़ोसी देश के रूप में भारत वहां लोकतंत्र, स्थिरता एवं आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने का पूरा समर्थन करता है और ‘पड़ोस प्रथम’ की नीति को ध्यान में रखता है।
श्रीलंका की मौजूदा स्थिति के बारे में सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा कि भारत की ‘पड़ोस प्रथम’ नीति को ध्यान में रखते हुए भारत ने इस वर्ष में ही इस कठिन स्थिति से बाहर निकलने में मदद के लिये श्रीलंका के लोगों को 3.5 अरब डालर से अधिक का सहयोग प्रदान किया है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारत के लोगों ने वहां खाद्य, दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी को दूर करने के लिये मदद दी है।
बागची ने कहा कि ऐतिहासिक संबंधों के साथ श्रीलंका के करीबी पड़ोसी देश के रूप में भारत वहां लोकतंत्र, स्थिरता एवं आर्थिक स्थिति के पटरी पर आने का पूरा समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा श्रीलंका के लोगों के सर्वश्रेष्ठ हित में काम करेगा।
गौरतलब है कि श्रीलंका में चीजों की बढ़ती कीमतों और बिजली कटौती को लेकर पिछले महीने से लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद से श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ है जिसके चलते देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है।
सोमवार को विरोध प्रदर्शन ने बेहद हिंसक रूप ले लिया। श्रीलंका में सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़प में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर मंगलवार को आठ हो गई तथा 200 से अधिक लोग घायल हो गए। हिंसा के दौरान हंबनटोटा में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पैतृक आवास सहित कई नेताओं के आवासों में आगजनी की गई। वीडियो फुटेज में हंबनटोटा शहर के मेदामुलाना में महिंदा राजपक्षे और उनके छोटे भाई एवं राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का आवास जलता दिखाई दे रहा है। श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।