इंटरनेशनल सोलर अलायंस: प्रारूप समझौते पर 20 देशों ने किए हस्ताक्षर
इंटरनेशनल सोलर अलायंस (इसा) के प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर की शुरूआत कल मोरक्को के माराकेश में सीओपी 22 की बैठक से इतर हुई। इस बैठक में पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने कहा कि कानूनी प्रारूप के अस्तित्व में आने से इसा एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन बन जाएगा जिसका मुख्यालय भारत में होगा। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ब्राजील और फ्रांस सहित 20 से अधिक देशों ने प्रक्रिया शुरू होने के तत्काल बाद ही इस पर हस्ताक्षर कर दिया। भारतीय जलवायु विशेषज्ञों ने इसे अच्छा कदम करार दिया जो विकासशील देशों में सौर उर्जा की मांग को बढ़ाएगा, इसकी गुणवत्ता में सुधार करेगा और सौर उर्जा की लागत को भी कम करेगा। हालांकि उन्होंने आगाह किया कि इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए संबंधित देशों का इसा में भरोसा होना जरूरी होगा। इसा के प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर की शुरूआत युनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज से जुड़े सीओपी22 से इतर हुई। यह इसा को नवोन्मेषी, कार्योन्मुखी अंतरराष्ट्रीय एवं अंतर-सरकारी संधियों पर आधारित संगठन बनाएगा जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 102 के तहत पंजीकृत होगा।
प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने पिछले साल पेरिस में सीओपी21 की बैठक के दौरान संयुक्त रूप से इसा की शुरूआत की थी। उस वक्त जलवायु परिवर्तन की बैठक में करीब 70 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसा भारत की ओर से की गई एक पहल है जिसमें 121 ऐसे देश शामिल हैं जो सौर संसाधन से समृद्ध हैं। बैठक के उद्घाटन समारोह में दवे ने इस पहल को निरंतर सहयोग करने वाला बताया और इसे कम समय में परिणति तक पहुंचाने वाले देशों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, शुरूआत के 11 महीनों के भीतर इसा की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं और कई कदम क्रियान्वयन की स्थिति में हैं। कानूनी प्रारूप के अस्तित्व में आने के साथ इसा एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय संगठन होगा जिसका मुख्यालय भारत में होगा। दवे ने कहा कि सौर वित्त, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेष, क्षमता निर्माण और अन्य चीजों के लिए समान विक्रेता बाजार बनाने से उच्च स्तर की गुणवत्ता आएगी, लागत कम होगी, उत्पाद जरूरत के हिसाब से बेहतर होंगे और समग्र और प्रौद्योगिकी वाला स्वामित्व होगा।