बुकर जीत जमैका के मार्लोन जेम्स ने रचा इतिहास
लंदन के गिल्डहाल में आयोजित एक समारोह में जेम्स को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने ब्रिटिश भारतीय लेखक संजीव सहोता की द ईयर ऑफ रनवे और चार दूसरे अंतरराष्ट्रीय दावेदारों को पीछे छोड़ते हुए यह पुरस्कार जीता है। मिनियोपोलिस निवासी 44 साल के जेम्स ने कहा, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है। ऐसा लग रहा है मानो कल जब मैं सुबह उठूंगा तो पता चलेगा यह तो सपना था।
जेम्स का यह तीसरा उपन्यास है। यह उपन्यास सन 1970 के दशक में बॉब मार्ले की हत्या के प्रयास की वास्तविक जीवन की घटना से प्रेरित है। पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष माइकल वुड ने 686 पन्नों में सिमटी इस कहानी को सबसे अधिक रोमांचक करार दिया और कहा कि हिंसक होने के बाद भी यह हैरतंगेज घटनाओं से भरी हुई है। इंग्लैंड के ईस्ट मिडलैंड के डर्बीशायर में पंजाबी प्रवासी परिवार में पैदा हुए सहोता भी इस बार पुरस्कार के प्रमुख दावेदारों में शामिल थे।