90 वर्षीय रोजी गोलमान 'बच्चों के नोबल पुरस्कार' के लिए नामांकित
रोजी गोलमान को भारत की सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर यहां के अति दयनीय बच्चों के लिए किए गए 50 साल के संघर्ष के लिए जाना जाता है। उनके ‘नो गर्ल इज अनवांटेड’ नाम के कैंपेन के जरिये करीब 12000 लड़कियों की जान बचाई गई जिन्हें जन्म के समय ही मारा जा सकता था। रोजी और उनके सहयोगियों का शुक्र है कि भारत में 50,000 बाल मजदूर आजाद कराए गए और स्कूल जा सके। रोजी और उनके साथियों का ही कारनामा है कि बांग्लादेश में दस लाख से ज्यादा लोग ऑपरेशन के बाद अपनी आंखों की रौशनी वापस पा सके। विशेष रुप से सक्षम हजारों-हजार बच्चों को ट्रेनिंग और सहायता भी रोजी ने उपलब्ध करवाई। इस पुरस्कार के लिए अन्य नामांकितों में अमेरिका की मौली मेल्चिंग और गुएना-बिसाउ की मैनुएल रॉड्रिक्स हैं। मौली को अफ्रीका में मादा जननांग विकृति पर उनके अभुतपूर्व काम के लिए चुना गया है। दृष्टीहिन और दूसरे विशेष रुप से सक्षम बच्चों के सम्मान के साथ जीने के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने के लिए मैनुएल को चुना गया।
उम्मीदवारों का चयन 15 देशों के बच्चों ने किया है। निर्णायक मंडल की एक बाल सदस्य, पायल जांगिड़ भारत से हैं। इस पुरस्कार के पूर्व विजेताओं की फेहरिस्त में बेअरफुट कॉलेज और दि चिल्ड्रेंस पार्लियामेंट, पॉल और मर्सी बास्कर, भारत से इंदरजीत खुराना और कैलाश सत्यार्थी जैसे नाम हैं। साल 2000 से अब तक 38.4 मिलियन बच्चे वर्ल्ड चाइल्ड प्रोग्राम में भाग ले चुके हैं। यह अधिकारों और लोकतंत्र के बारे में विश्व की सबसे बड़ी वार्षिक पहल है। वर्ल्ड चाइल्ड प्रोग्राम के संरक्षकों में आंग सान सू की, नेल्सन मंडेला, स्वीडेन के प्रधानमंत्री स्टिफन लॉफवेन और एचएम क्वीन सिल्विया ऑफ स्वीडेन हैं।