संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत का तालिबान को संदेश- अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने के लिए न हो
अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर भारत ने अपनी चिंता अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हमने पिछले महीने के दौरान अफगानिस्तान की स्थिति में नाटकीय बदलाव देखा है। सुरक्षा परिषद ने अगस्त में तीन बार बैठक की और मौजूदा स्थिति पर सामूहिक रूप से घोषणा की।
तिरुमूर्ति ने कहा कि इसने हमारी कुछ सामूहिक चिंताओं को ध्यान में रखा, विशेष रूप से आतंकवाद पर, जहां इसने तालिबान की प्रतिबद्धता को उल्लेखित किया है कि वह आतंकवाद के लिए अफगान भूमि के उपयोग की इजाजत नहीं देगा, जिसमें आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों को संकल्प 1267 के तहत नामित किया गया है।
तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि अफगान इलाकों का उपयोग किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने या ट्रेनिंग देने के लिए या आतंकवादी गतिविधि की योजना बनाने के साथ अपनी आय बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यूएनएससीआर 2593 ने तालिबान के इस बयान पर भी ध्यान दिया कि अफगान बगैर किसी व्यवधान के विदेश यात्रा कर सकेंगे। हमें उम्मीद है कि इन प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाएगा, जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों के अफगानिस्तान से सुरक्षित और व्यवस्थित निकलना भी शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि अफगानिस्तान में हालत अब भी बेहद नाजुक बनी हुई है। और इस देश के पड़ोसी हैं और लोगों के मित्र है, इसलिए यह हमारे लिए सीधा चिंता का विषय है। साथ ही कहा जो पिछले कई दशक में अफगानिस्तान ने पाया उसे कायम रखने की अनिश्चितताएं बहुत ज्यादा हैं। इसके लिए हम अफगान महिलाओं की आवाज को उठता हुआ देखना चाहते हैं।
उन्होंने अपने भाषण में अफगान बच्चों की भी चिंता जाहिर की और अल्पसंख्यकों के हकों की रक्षा करने की बात भी कही साथ ही मानवीय मदद फौरन मुहैया करने की मांग की। तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि भारत अफगानिस्तान में समावेशी व्यवस्था का आह्वान करता है जो अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करता है।