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20 August 2021

अफगानिस्तान में 3 लाख करोड़ डॉलर के प्राकृतिक संसाधन, फिर भी गिनती सबसे गरीब देशों में

दो दशक बाद अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के साथ वहां के प्राकृतिक संसाधनों पर भी उनका नियंत्रण हो गया है। अफगानिस्तान में तीन लाख करोड़ डॉलर के खनिजों का भंडार है, इसके बावजूद उसे दुनिया के सबसे गरीब देशों में शुमार किया जाता है। कारण है दशकों से जारी युद्ध और अशांति। विशेषज्ञों के अनुसार अगर एक दशक तक अफगानिस्तान में शांति रहे और खनन हो तो उसकी गिनती दुनिया के सबसे अमीर देशों में होने लगेगी।

अफगानिस्तान दुनिया के सबसे गरीब देशों में गिना जाता है। 2020 में यहां के 90 प्रतिशत लोग गरीब थे। अफगानिस्तान सरकार ने दो डॉलर रोजाना की आमदनी को गरीबी रेखा निर्धारित किया था। वर्ल्ड बैंक ने मार्च में एक रिपोर्ट में कहा था कि असुरक्षा, राजनीतिक अस्थिरता, अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर, बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार और बिजनेस का माहौल ना होने के कारण यहां निजी निवेश मुश्किल है

लिथियम और कॉपर का है बड़ा भंडार

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अफगान सरकार के 2010 के आकलन के अनुसार देश में तीन लाख करोड़ डॉलर के प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं। वहां कॉपर और लिथियम जैसी धातुओं का बड़ा भंडार है। कोरोना वायरस के संकट के बाद जब विश्व अर्थव्यवस्था सुधार के रास्ते पर है तब इन चीजों की कीमत काफी बढ़ गई है। उस हिसाब से देखा जाए तो अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों की कीमत मौजूदा दौर में काफी अधिक होगी

यहां कॉपर और लिथियम के अलावा सोना, तेल, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम, बॉक्साइट, कोयला, आयरन ओर, रेयर अर्थ, क्रोमियम, लेड, जिंक, जेमस्टोन, सल्फर, जिप्सम और मार्बल का भंडार है। अफगानिस्तान सरकार की 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में तीन करोड़ टन कॉपर का भंडार मौजूद है। इसके अलावा और तीन करोड़ टन कॉपर के ऐसे भंडार की उम्मीद जताई गई है जिसकी अभी तक खोज नहीं हुई है। यहां सबसे बड़े कॉपर प्रोजेक्ट के लिए 2008 में चीन की दो कंपनियों ने 30 साल लीज पर काम शुरू किया था।

2,700 किलो सोने का भी है भंडार

यहां 2.2 अरब टम आयरन ओर का भंडार है। रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 2,700 किलो सोने का भंडार भी है। इसके अलावा एलुमिनियम, टिन, लेड और जिंक के भंडार देश में अलग-अलग जगहों पर मौजूद हैं। लेकिन सुरक्षा कारणों और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से इनमें से ज्यादातर का खनन नहीं हो सका है। विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान का नियंत्रण होने के बावजूद फिलहाल हालात नहीं बदलेंगे क्योंकि खनन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में भी कई साल लग जाएंगे

जलवायु संकट को देखते हुए दुनिया में लिथियम और कोबाल्ट जैसे धातुओं की मांग बढ़ रही है ताकि कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सके। अभी चीन, कांगो और ऑस्ट्रेलिया दुनिया में लिथियम, कोबाल्ट और रेयर अर्थ की 75% मांग पूरी कर रहे हैं।

इलेक्ट्रिक कार में छह गुना अधिक मिनरल

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार पारंपरिक पेट्रोल या डीजल से चलने वाली कार की तुलना में इलेक्ट्रिक कार में छह गुना अधिक मिनरल की जरूरत पड़ती है। लिथियम, निकल और कोबाल्ट बैटरी बनाने के लिए जरूरी हैं। बिजली के नेटवर्क तैयार करने में भी कॉपर और एलुमिनियम का इस्तेमाल होता है। बिजली बनाने वाले प्लांट में जो टरबाइन लगते हैं उनमें चुंबकों में रेयर अर्थ तत्वों का इस्तेमाल होता है

बोलीविया के बराबर हो सकता है लिथियम का भंडार

दुनिया में सबसे अधिक लिथियम का भंडार बोलीविया में है। अमेरिका का अनुमान है कि अफगानिस्तान में भी बोलीविया के बराबर लिथियम का भंडार हो सकता है। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के एक अधिकारी सैयद मीरजाद ने 2010 में कहा था कि अगर अफगानिस्तान कुछ वर्षों तक शांत रहे और वहां खनिजों को निकाला जाए तो यह एक दशक में दुनिया के सबसे अमीर देशों में शुमार हो सकता है।

इंटरनेशनल एजेंसी एनर्जी एसोसिएशन का आकलन है कि सोना, कॉपर, आयरन, लिथियम और रेयर अर्थ जैसे मिनिरल के भंडार का पता लगने के बाद उत्पादन शुरू होने में 16 साल लगते हैं। आइएमएफ के अनुसार अभी अफगानिस्तान में हर साल करीब एक अरब डॉलर के खनिजों का उत्पादन होता है। उसमें भी 30 से 40 फ़ीसदी रकम भ्रष्टाचार में और कबीलाई सरदारों और तालिबान को चली जाती है

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TAGS: Afghanistan, $3tn worth, natural assets, Taliban control, world's poorest countries
OUTLOOK 20 August, 2021
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