भारत के बाद दुनिया से भी गायब हो रहे चीते
एक नये अध्ययन में पाया गया है कि चीतों के लिए प्रसिद्ध केन्या के मासई मारा में उसकी संख्या उतनी नहीं है, जितना पहले सोचा गया।
उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में धरती पर करीब एक लाख चीते थे। इंटरनेशनल यूनियन फाॅर कंजरवेशन आॅफ नेचर आईयूसीएन का नवीनतम अनुमान है कि चीतों की संख्या महज 6600 रह गयी है और वह भी मुख्य रूप से पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका में हैं।
हालांकि केन्या के वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट के मारा चीता प्रोजेक्ट, ब्रिटेन के आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि चीतों को सटीक ढंग से गिन पाने में कठिनाई के चलते यह आंकड़ा भी अनुमान भर है।
अनुसंधानकर्ताओं ने चीतों की सही संख्या का पता लगाने के लिए अब नयी विधि तैयार की है जो कालांतर में चीतों के समक्ष मौजूद खतरे की भयावहता का पता लगाएगी और संभावित संरक्षण प्रयासों का मूल्यांकन करेगी। यह अध्ययन पत्रिका पीएलओएस वन में छपा है।