'डिवाइडर इन चीफ' के बाद अब TIME मैगजीन ने मोदी को बताया 'भारत को एक सूत्र में पिरोने वाला PM'
लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की शानदार जीत के बाद टाइम मैगजीन ने यू-टर्न लिया है। प्रचार के दौरान मशहूर अमेरिकी मैगजीन 'टाइम' ने अपने कवर पेज पर पीएम नरेंद्र मोदी को 'डिवाइडर इन चीफ' यानी 'तोड़ने वाला मुखिया' बताया था। लेकिन प्रचंड बहुमत वाले परिणाम आने के बाद टाइम मैगजीन का नजरिया बदल गया है। अब 28 मई को टाइम की वेबसाइट पर छपे आर्टिकल में मोदी को देश को जोड़ने वाला नेता बताया गया है।
टाइम पत्रिका ने हेडलाइन के साथ वेबसाइट पर अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट की हेडलाइन में लिखा है 'मोदी हैज यूनाइटेड इंडिया लाइक नो प्राइम मिनिस्टर इन डिकेड्स (Modi Has United India Like No Prime Minister in Decades) यानी 'मोदी ने भारत को इस तरह एकजुट किया है जितना दशकों में किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया'। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम मोदी न सिर्फ सत्ता में वापस आने में कामयाब रहे, बल्कि उन्होंने अपने समर्थन को भी बढ़ाया है। यही नहीं पीएम मोदी विभाजक रेखाओं और जातिगत मतभेदों को पाटने में भी सफल रहे हैं।
गरीबों के लिए बनाई गईं नीतियों की वजह से दोबारा सत्ता पर आने में कामयाब हुए मोदी
इस आर्टिकल को मनोज लडवा ने लिखा है जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 'नरेंद्र मोदी फॉर पीएम' अभियान चलाया था। आर्टिकल में लिखा गया है, 'उनकी (मोदी) सामाजिक रूप से प्रगतिशील नीतियों ने तमाम भारतीयों को जिनमें हिंदू और धार्मिक अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, को गरीबी से बाहर निकाला है। यह किसी भी पिछली पीढ़ी के मुकाबले तेज गति से हुआ है।' मनोज लडवा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पीएम मोदी देश के गरीबों के लिए बनाई गईं नीतियों की वजह से दोबारा देश की सत्ता पर आने में कामयाब हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी की नीतियों की वजह से न सिर्फ हिंदू बल्कि अल्पसंख्यक समूदाय के लोग भी काफी हद तक गरीबी से बाहर निकलने में सफल रहे हैं।
इस मैराथन चुनाव में भारतीय वोटरों को एकजुट करने में कामयाब रहे मोदी
आर्टिकल में लडवा ने लिखा है, 'मोदी की नीतियों की कटु और अक्सर अन्यायपूर्ण आलोचनाओं के बावजूद उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल और इस मैराथन चुनाव में भारतीय वोटरों को इस कदर एकजुट किया, जितना करीब 5 दशकों में किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं किया।'
आर्टिकल में पीएम मोदी का एक विडियो भी लगाया गया है, जिसमें वह इस बात पर जोर देते दिख रहे हैं कि किसी से किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होगा।
10 मई के अंक से बिल्कुल अलग है यह रिपोर्ट
पीएम मोदी पर टाइम का यह आर्टिकल मैगजीन के इसी महीने 10 मई के अंक में प्रकाशित पत्रकार आतिश तासीर की कवर स्टोरी से बिल्कुल अलग है। उसमें तासीर ने लिंचिंग के मामलों और यूपी में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने समेत कई बातों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की थी। बीच चुनाव में आए उस अंक ने भारत में काफी सुर्खियां बटोरी। मोदी समर्थकों ने जहां टाइम की कवर स्टोरी की कड़ी आलोचना की, वहीं मोदी विरोधियों ने उसे हाथो हाथ लिखा।
चुनाव से पहले मैगजीन ने मोदी के बारे में ये रखी थी अपनी राय
चुनाव से पहले मशहूर अमेरिकी मैग्जीन टाइम (एशिया एडिशन) ने पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में अपनी राय रखी थी जिसके अनुसार भारत में मोदी के खिलाफ कोई बेहतर विकल्प नहीं है। बहुसंख्यक आबादी उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में देखती है जो समाज में विभाजन करने का काम करता है। साथ ही यह भी कहा था कि दिल्ली की सत्ता पर वो एक बार फिर काबिज हो सकते हैं।
1947 के इतिहास का किया था जिक्र
टाइम मैग्जीन ने 1947 के उस इतिहास का जिक्र किया था जब भारत को आजादी मिली थी और ये बताया था कि किस तरह पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू ने धर्मनिरपेक्षता को सरकार का मूल माना। उनके मुताबिक धर्म का राज्य की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। लेकिन बदलते हुए समय के साथ कांग्रेस का वंशवाद भारतीय राजनीतिक का एक प्रमुख चेहरा बना। कई कालखंडों के सफर को तय करते हुए अलग-अलग दलों के नेताओं ने कांग्रेस को चुनौती पेश की। लेकिन 2014 का साल बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ।
2014 में जब आए नरेंद्र मोदी
टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक क्षितिज पर एक ऐसे शख्स( नरेंद्र मोदी) का अवतरण हुआ जिसने कांग्रेस की उन नीतियों और सिद्धांतों का विरोध किया जिसे कांग्रेस पार्टी अपनी कामयाबी के रूप में पेश करती थी। 2014 में जब नतीजे सामने आए तो कांग्रेस पूरी तरह सिकुड़ चुकी थी। एक ऐसी पार्टी जो भारत के सभी हिस्सों पर राज कर चुकी थी उसके लिए संसद में नेता विपक्ष के लिए आवश्यक आंकड़ों की कमी पड़ गई।
‘मोदी इस मायने में खुशनशीब हैं कि उनके खिलाफ कमजोर विपक्ष है’
टाइम ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मोदी इस मायने में खुशनशीब हैं कि उनके खिलाफ कमजोर विपक्ष है। कांग्रेस की अगुवाई में और उसके साथ साथ एक ऐसा विपक्ष है जिसका कोई एजेंडा नहीं है वो सिर्फ पीएम मोदी को हराना चाहता है। इन सबके बीच पीएम मोदी को ये पता है कि 2014 में किए गए वायदों को पूरी तरह जमीन पर उतारने में नाकाम रहे लिहाजा वो उन मुद्दों या उन चेहरों को उजागर कर रहे हैं जो कहीं न कहीं अपने वादों को निभा पाने में नाकाम रहे थे।
चुनाव परिणाम आने के बाद बदले सुर
यही वजह है कि वो अपने आशियाने में बैठकर ट्वीट कर ये बताते हैं कि वो क्यों वंशवाद और सल्तनत जैसी परंपरा के खिलाफ हैं। हालांकि ये सब समय समय की बात हैं। चुनाव परिणाम के बाद अन्य कई लोगों की तरह मशहूर मैगजीन के सुर भी पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर बदल गए हैं और अब वह देश को जोड़ने वाले नेता हैं।