Advertisement
11 September 2016

बलूचिस्तान की आजादी : आंदोलनकारी समर्थन मांगने बागपत और मेरठ पहुंचे

google

बड़ौत के शहजाद राय शोध संस्थान पहुंचे बलोच आंदोलन के सर्वोच्च नेता मजदक दिलशाद बलूच और नायला ने बताया कि बलूचिस्तान की आजादी के लिए आंदोलन कर रहे लोगों पर पूरे विश्व की निगाह है। अब भारत में रहने वाले प्रवासी बलूच और भारतीय नागरिक बन चुके बलूच भी आजादी की लड़ाई लड़ेंगे। यह लड़ाई अ¨हसा आंदोलन के रूप में होगी। भारत में शांति आंदोलन और ज्ञापन के जरिये केंद्र सरकार से मांग की जाएगी कि वह इस मसले में हस्तक्षेप कर बलूचियों को नरक से मुक्ति दिलाए।

दिलशाद और नायला अपने दल के साथ पाकिस्तान से कनाडा होते हुए दिल्ली पहुंचे और वहां से बड़ौत। बागपत जिले के क्रांतिग्राम बिलौचपुरा, तिलपनी, सरधना का मदारपुर गांव, खिवाई के पास खेड़ी गांव आदि में एक दर्जन से अधिक बलूच परिवार रह रहे हैं। इनकी संस्कृति सैकड़ों साल बाद भी बलूचिस्तान से जुड़ी रही है। दिलशाद और नायला बिलौचपुरा गांव में अपने पूर्वजों की निशानी देखने पहुंचे और इरफान पठान समेत कई बहन-भाइयों से मिले। अपने लोगों से मिलकर बलूच नेताओं ने पाकिस्तानी सेना की बर्बरता की कहानी सुनाई तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए।

बिलौचपुरा के इरफान ने कहा कि वह अपने लोगों का हर हाल में साथ देंगे। यहां पर बलूचिस्तान से आकर हमारे पूर्वज नबी बख्श बसे थे। अभी भी हमारे नाते-रिश्ते बलूचियों में ही होते हैं। हम लोग मूलत: पठान हैं। अफगानियों से भी रिश्ते हो जाते हैं।

Advertisement

1526 में आकर बसे थे बलूच

1526 में जब शेरशाह सूरी ने बाबर को हरा दिया था तो बाबर बलूच शासकों की शरण में चला गया था। इसके बाद बलूच वंश के लोगों ने दिल्ली आकर सूरी वंश का नाश कर बाबर को गद्दी पर बैठाया था। इस दौरान सैकड़ों बलूची परिवार भारत में ही रह गए और इनमें से कई परिवार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बस गए। बलूच लोगों के मेरठ, बागपत समेत कई जिलों में एक दर्जन से अधिक गांव हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: बलूचिस्‍तान, यूपी, मेरठ, बागपत, आजादी, Baluchistan, up, freedom, baghpat
OUTLOOK 11 September, 2016
Advertisement