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15 December 2021

बांग्लादेश की स्वर्ण जयंती: ढाका विजय समारोह में मुख्य अतिथि होंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ढाका में होंगे। 16 दिसंबर वह दिन है जब 93,000 सैनिकों के साथ जनरल एएके नियाज़ी के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना की पूर्वी कमान ने अपने हथियार भारतीय और बांग्लादेशी सेनाओं के सामने डाल दिए थे। इस परिणाम के साथ मुक्ति संग्राम खत्म हुआ और एक स्वतंत्र देश का जन्म हुआ।

पूर्वी पाकिस्तान से हार पाकिस्तानी सेना की प्रतिष्ठा पर एक आघात थी। मुक्ति संग्राम के नतीजे ने पाकिस्तानी सेना के भारत पर संदेह को और बढ़ाया। साथ ही साथ अफगानिस्तान में भारतीय उपस्थिति के कड़े विरोध को मजबूत किया। पाकिस्तान ने लगातार भारत पर हामिद करजई और अशरफ गनी के वर्षों में जलालाबाद में अपने वाणिज्य दूतावास के माध्यम से बलूचिस्तान में अशांति फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। हालांकि, अब अफगानिस्तान में तालिबान के शासन से पाकिस्तान को कुछ राहत मिली होगी। पाकिस्तान यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी कोशिश करेगा कि नई दिल्ली काबुल में नए तालिबान शासन के करीब न आए।

राष्ट्रपति कोविंद इस महत्वपूर्ण अवसर की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए ढाका में होंगे। यह बांग्लादेश की उनकी पहली यात्रा है और साथ ही वह पहली बार महामारी के बाद देश से बाहर निकल रहे हैं।

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राष्ट्रपति कोविंद की दो दिवसीय राजकीय यात्रा बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद के निमंत्रण पर हो रहा है। वह इस अवसर पर विजय समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। इस समारोह में सैन्य परेड होगी और तीनों भारतीय सेनाओं का एक दल भी शामिल होगा। दिवंगत प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने बांग्लादेश की मुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और शेख हसीना और उनके अवामी लीग के समर्थक इसे नहीं भूले हैं।

युद्ध में 1,000 से अधिक भारतीय सैनिक मारे गए थे। विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात भारत के प्रति अवामी लीग जैसी गर्मजोशी को साझा नहीं करते हैं। गौरतलब हो कि जमात ने मुक्ति संग्राम का विरोध किया था।

राष्ट्रपति बुधवार को ढाका के लिए रवाना होंगे और उनकी पहली यात्रा राजधानी में राष्ट्रीय शहीद स्मारक होगी, जहां वह उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देंगे जो आजादी के लिए शहीद हुए थे। इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो न केवल युद्ध के दौरान, बल्कि लड़ाई से पहले की अवधि के दौरान मारे गए थे, जब पाकिस्तान द्वारा नागरिकों पर क्रूर बल का इस्तेमाल किया गया था। 1971 में पाकिस्तानी सेना ने नागरिकों पर बल प्रयोग किया था जिसमें लगभग 30 लाख लोग मारे गए थे। ढाका विश्वविद्यालय के बुद्धिजीवियों और छात्रों की कुख्यात हत्या, और स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करने वाली नागरिक आबादी पर किए गए अत्याचार जगजाहिर हैं। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को राष्ट्रपति की यात्रा से पहले अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "भारत बांग्लादेश के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा था। यह हमारे लिए आस्था का विषय था।"

प्रधानमंत्री शेख हसीना और विदेश मंत्री अब्दुल मोमेन राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात करेंगे। श्रृंगला ने कहा कि भारत-बांग्लादेश  संबंध सुनहरे दौर से गुजर रहे हैं और ढाका भारत की पड़ोस पहले नीति का केंद्रीय स्तंभ बना हुआ है। श्रृंगला इस साल दुर्गा पूजा समारोह के दौरान बांग्लादेश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) या बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा और अशांति पर कुछ नहीं बोले। इसके बजाय उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित किया और बताया कि दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व ने "समय-समय पर आने वाले मुद्दों को संबोधित किया है, जिससे देशों के संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।" उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की यात्रा "हमारे बंधनों को नवीनीकृत करने का अवसर है।" उन्होंने देशों के बीच की गहराई के बारे में बात करते हुए कहा कि महामारी के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल के 9.46 बिलियन डॉलर से बढ़कर 10.78 बिलियन डॉलर हुआ है, जो 14 फीसदी की बढ़ोतरी है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की यात्रा "एक महान कारण और एक महान जीत को याद करने के लिए" है। इस समय दिल्ली और ढाका दोनों जगहों पर जश्न का माहौल है और फिलहाल सभी मतभेद ठंढा पड़ता दिख रहा है।

 

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TAGS: Ramnath Kovind, Bangladesh's Golden Jubilee, India and Bangladesh relationship, 50years of Bangladesh liberation, Ramnath Kovind at Dhaka Victory Ceremony
OUTLOOK 15 December, 2021
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