कास्त्रो के भारत और भारतीय नेताओं के साथ थे प्रगाढ़ संबंध
दिवंगत प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत उन प्रथम चंद देशों में शामिल था जिन्होंने 1959 की क्रांति के बाद क्यूबा को मान्यता दी थी। कास्त्रो की अगुवाई में हुई क्रांति में फ्लूजेनिको बतिस्ता शासन को अपदस्थ किया गया था। साम्यवादी क्यूबा पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंदों की परवाह नहीं करते हुए शीतयुद्ध दौर के शुरू से भारत ने करीब छह दशक तक उसके साथ राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृति और नागरिक संपर्क कायम रखे। बाद में अमेरिका को भी अपने रूख की समीक्षा करनी पड़ी। नेहरू ने ही इस महान क्यूबाई नेता से संपर्क कर कहा था कि गुटनिरपेक्ष राष्ट्र उनके नेतृत्व को बहुत उम्मीद से देखते हैं।
कास्त्रो के साथ भारत के संबंधों का आगाज तब हुआ जब नेहरू ने उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ाया। वर्ष 1960 में न्यूयार्क में संरा महासभा में भाग लेने गए कास्त्रों ने पांच सितारा होटलों में रूकने से इंकार कर दिया था। तब थेरेसा होटल के मालिक वहां आए और उन्हें तथा उनके शिष्टमंडल को अपने होटल में रूकने का न्यौता दिया। उस समय महत्वपूर्ण हस्तियां वहां उनसे शिष्टाचार भेंट करने आई थीं। वर्षों बाद कास्त्रो ने पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह को बताया था, मुझसे मिलने के लिए आने वाले पहले व्यक्ति प्रधानमंत्री नेहरू थे। मैं उनके इस शानदार रूख को कभी नहीं भूल सकता। मेरी आयु उस समय सिर्फ 34 साल थी और मैं ज्यादा विख्यात नहीं था। नेहरू ने मेरी हौसल अफजाई की।
भारत-क्यूबा मैत्री की अविस्मरणीय छवि 1983 का नई दिल्ली का वह पल है जब कास्त्रों ने नैम अध्यक्षता इन्दिरा गांधी को सौंपते हुए उन्हें गले लगाया था। कास्त्रो ने उस समय कहा था, इन्दिरा गांधी के पास इसका प्रतिनिधित्व करने का ऐतिहासिक अधिकार है। दोनों देशों के बीच दोस्ती का अहम पड़ाव प्रधानमंत्री राजीव गांधी का क्यूबा दौरा भी रहा। उस समय उनकी कास्त्रो से व्यापक बातचीत हुई थी। वर्ष 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने क्यूबा की यात्रा की थी जबकि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अक्तूबर 2013 में क्यूबा यात्रा के दौरान कास्त्रो से मुलाकात की थी। अंसारी की 65 मिनट तक चली लंबी बैठक में कास्त्रो ने भारत एवं क्यूबा के संबंधों की गर्माहट की झलक दिखाई दी थी। दोनों ही गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्य हैं। किसी विदेशी नेता के साथ कास्त्रो की यह बहुत लंबे समय बाद हुई मुलाकात थी।
कास्त्रो की मृत्यु पर नटवर सिंह ने कहा कि वह भारत के एक बहुत अच्छे मित्र थे जो हमेशा बुरे-भले समय में साथ खड़े रहे। सिंह ने आज कहा, मुझे उनसे दिल्ली एवं हवाना, दोनों जगह 6-7 बार मिलने का सौभाग्य मिल चुका है। वह भारत के बहुत अच्छे मित्र थे। वह हमेशा बुरे और अच्छे समय में साथ खड़े रहे। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी सहित कई अन्य नेताओं कास्त्रो के निधन पर गहरा शोक जताया। क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति और महान क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो का गत रात्रि 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया।