एच-1बी वीजा पॉलिसी में बदलाव का प्रस्ताव, जानिए क्या होगा भारतीयों पर असर
ट्रम्प प्रशासन ने एच-1बी वीजा नीतियों में बदलाव का प्रस्ताव भेजा है। हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि अमेरिका में नौकरी करने सिर्फ वे ही आ सकते हैं, जो योग्य हों और देश की मदद कर सकते हों। अमेरिका के 50 राज्यों में 100 भारतीय कंपनियां हैं। इनमें करीब 1 लाख 13 हजार लोग काम कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन का कहना है कि वह नया प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं, जो न केवल एच-1बी वीजा के तहत आने वाले विशेष व्यवसायों को नए तरीके से परिभाषित करेगा बल्कि भारतीय कंपनियों के बीच चर्चित फॉरेन वर्किंग वीजा के तहत नौकरियों को भी परिभाषित करेगा। ये कदम ट्रंप प्रशासन के यूनिफाइड फॉल एजेंडा का हिस्सा है, जिसका अमेरिका में भारतीय आईटी कंपनियों पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही इसका प्रभाव आईटी सेक्टर में काम करने वाली छोटी और मध्यम साइज की कंपनियों पर भी पड़ा है, जो भारतीय मूल के अमेरिकियों की हैं।
बुधवार को अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने कहा कि अमेरिकी नागरिकता और आप्रवासन सर्विस का प्लान जनवरी 2019 तक नए प्रपोजल के साथ आएगा। नए प्रपोजल में विशेष व्यवसायों को वापस परिभाषित किया जाएगा, जिससे एच-1बी वीजा के जरिए बेहतर और उज्जवल विदेशी लोगों पर ज्यादा फोकस किया जा सके।
इस प्रपोजल में एम्प्लॉयमेंट और एम्प्लॉयर और एम्प्लॉई के बीच संबंधों को भी वापस से परिभाषित किया जाएगा, जिससे अमेरिकी वर्कर और उनके भत्तों को बेहतर किया जा सके। एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि डीएचएस एच-1बी वीजा धारकों को उच्चित भत्ता मिले इसके लिए भी आवश्यक अतिरिक्त बदलाव प्रपोजल में करेगा।
इस मौके पर डीएचएस ने दोहराया कि वह यह भी प्रस्तावित कर रहा है कि कुछ एच-1बी अप्रवासियो के एच-4 पति/पत्नी को रोजगार के लिए एलियन एलिजिबल क्लास से बाहर किया जाएगा। बता दें कि अमेरिका में एलियन रजिस्ट्रेशन कार्ड जारी किया जाता है। इस कार्ड धारक के पास अमेरिका में काम करने और रहने का अधिकार होता है। गौरतलब है कि एच-1बी वीजा एक नॉन इमिग्रेंट वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों के लिए जारी किया जाता है।