उइगुर मुस्लिमों के बुर्के पर चीन ने लगाया प्रतिबंध
सरकारी ग्लोबल टाईम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम पीपुल्स प्रोक्यूराटोरेट (एसपीपी) और सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट द्वारा जारी एक न्यायिक स्पष्टीकरण में कहा गया है कि आतंकवाद और अतिवाद के प्रसार के दौरान दूसरों को आतंकवाद और अतिवादियों से जुड़े परिधान या प्रतीकों को धारण करने के लिए मजबूर करना अपराध है।
रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी अगर हिंसा का प्रयोग कर दूसरों को ऐसे परिधान पहनने के लिए मजबूर करता है तो उस पर निगरानी की जाएगी, उसे हिरासत में लिया जाएगा या उसे कम से कम तीन साल जेल की सजा हो सकती है। एसपीपी के संशोधन और व्याख्या में इसकी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है कि कौन सा परिधान या प्रतीक अतिवादी होगा। शिनजियांग की स्थानीय विधायी संस्था द्वारा शिनजियांग की राजधानी उरूमेकी में सार्वजनिक रूप से बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने संबंधी कानून को मंजूरी देने के बाद यह संशोधन सामने आया है।
प्राप्त सूचना के अनुसार उरूमेकी के रहने वाले गोंग शिआओजून से पुलिसकर्मियों ने बार-बार अनुरोध किया था कि वह अपनी पूरी दाढ़ी बना ले और अपनी पत्नी को बुर्का नहीं पहनने की इजाजत दे लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया, जिसके कारण 2014 में स्थानीय अदालत ने उसके मामले में आपराधिक फैसले के मुताबिक उसे लोकसेवक के अनुरोध का विरोध करने के लिए दो साल जेल की सजा सुनाई।
बुर्के पर प्रतिबंध के बाद शिनजियांग में अलगाववादी ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) के आतंकवादियों ने कथित तौर पर हमले किए। जहां चीन के अन्य हिस्सों से आए हान समुदाय के लोगों की बस्तियों के लगातार प्रसार को लेकर उइगुर मुस्लिमों में आक्रोश है। हिंसा से निपटने के लिए चीनी सरकार ने बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया है।