प्रदूषण से निपटने के लिए चीन, भारत मिला सकते हैं हाथ : अधिकारी
शंघाई नगर विदेश मामले कार्यालय के उपमहानिदेशक फु जिहोंग ने पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्वभर में किए जा रहे प्रयासों का हवाला देते हुए कहा, यह एक तथ्य है कि पर्यावरणीय प्रदूषण विश्वभर के शहरों के लिए एक चुनौती है और हम सब इस चीज पर काफी ध्यान देते हैं कि हम पर्यावरण के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए विश्वभर में एक बड़ी सर्वसम्मति बनी है। उन्होंने यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की 15वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक आयोजन में कहा, महत्वपूर्ण बुनियाद के रूप में इस तरह की सर्वसम्मति पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर विश्व में एक बड़ा सहयोग होगा।
जिहोंग ने कहा कि आर्थिक जगत का तेजी से मुख्य केंद्र बन रहा शंघाई पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में साझेदार शहरों के साथ अपने अनुभव, सर्वश्रेष्ठ तरीकों और नवीनतम प्रौद्योगिकी को साझा करने की दिशा में काम कर रहा है। चीन में बीजिंग और भारत में नयी दिल्ली विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। चीन के सर्वाधिक आबादी वाले शंघाई शहर को वायु की खराब होती गुणवत्ता जैसी स्थिति का भी सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली सरकार ने जहां दिल्ली में निजी कारों के लिए सम-विषम योजना जैसी योजनाएं पेश की हैं, वहीं शंघाई हरित स्थलों का दायरा बढ़ाकर वायु प्रदूषण से निपट रहा है। वर्ष 2015 में शंघाई सरकार ने शहर के लगभग 25 वर्ग मील क्षेत्र को हरित क्षेत्र में तब्दील किया। यह पूछे जाने पर कि क्या शंघाई हरित विकास के मुद्दे पर भारत के साथ सहयोग करने को तैयार है, फु ने कहा, जब बात पर्यावरण संरक्षण की आती है तो हमें यह मानना चाहिए कि हर शहर भिन्न होता है, इसकी अपनी खुद की विशेषताएं और विशिष्टताएं होती हैं। पर्यावरण की देखभाल के मुद्दे पर शहर की विशेष जरूरतों और विकास जरूरतों के हिसाब से विचार किया जाना चाहिए। लेकिन मेरा मानना है कि नवीनतम और आधुनिक प्रौद्योगिकियां तथा सर्वश्रेष्ठ तरीके निश्चित तौर पर भारत के साथ साझा किए जा सकते हैं। विशेषत: हरित ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन ऐसे क्षेत्र हैं जहां चीन भारत के साथ सहयोग कर सकता है।