तुर्की में तख्तापलट का प्रयास विफल, 265 की मौत, हजारों घायल
तुर्की में तख्तापलट की कोशिश विफल होने के बाद आधिकारिक समाचार एजेंसी आंदालोउ ने बताया कि तुर्की के बड़े शहरों में रातभर हुई हिंसा में कम से कम 265 लोगो की मौत हो गई और करीब 1500 लोग घायल हुए हैं। तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिलदीरिम ने आंकड़ों की पुष्टि करते हुए कहा, तख्तापलट की हिंसा में 265 लोग मारे गए और करीब 2,839 सैनिकों को हिरासत में लिया गया है। तीन हजार जजों को बर्खास्त किया गया है। अपने आवास कानकाया पैलेस के बाहर यिलदीरिम ने कहा कि तख्तापलट का प्रयास तुर्की के लोकतंत्र पर काला धब्बा है। उन्होंने बताया कि इस दुस्साहसिक घटना में 1,440 लोग घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि कुल मारे गए 265 लोगों में हमलावर भी शामिल हैं। कार्यवाहक सेना प्रमुख उमित दुंदार ने पहले कहा था कि तख्तापलट का प्रयास करने वाले 104 लोगों को मार दिया गया है। यिलदीरिम ने तख्तापलट के प्रयास के लिए अमेरिका आधारित तुर्क धर्मगुरू फतहुल्ला गुलेन के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, फतहुल्ला गुलेन एक आतंकवादी संगठन का नेता है। उसके पीछे जो भी देश है वो तुर्की का मित्र नहीं है और उसने तुर्की के खिलाफ गंभीर युद्ध छेड़ रखा है। अब तक अमेरिका ने गुलेन को प्रत्यर्पित करने के तुर्की के आग्रह पर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है
शुक्रवार की देर रात सैनिक और टैंक तुर्की की सड़कों पर उतर आए और आठ करोड़ की आबादी वाले इस देश के दो सबसे बड़े शहरों अंकारा और इस्तांबुल में सारी रात धमाके होते रहे। 13 साल से एर्दोगन के वर्चस्व में चलने वाली सरकार में पहली बार उनके लिए ऐसी बड़ी चुनौती खड़ी हुई। कई घंटों की अफरातफरी और भारी हिंसा के बाद राष्ट्रपति ने इस अनश्चितता को खत्म किया कि वह कहां हैं। एर्दोगन शनिवार की विमान से इस्तांबुल हवाईअड्डे पहुंचे जहां सैकड़ों समर्थकों ने उनका स्वागत किया। एर्दोगन ने तख्तापलट के प्रयास की निंदा की और इसे विश्वासघात बताया। उन्होंने कहा कि वह अपना काम कर रहे हैं और अंत तक काम करना जारी रखेंगे। उन्होंने हवाईअड्डे पर कहा, जो भी साजिश रची जा रही है, वह देशद्रोह और विद्रोह है। उन्हें देशद्रोह के इस कृत्य की भारी कीमत चुकानी होगी। हम अपने देश को उस पर कब्जे की कोशिश कर रहे लोगों के हाथों में नहीं जाने देंगे।
तख्तापलट की कोशिश के दौरान तुर्की की संसद को भी निशाना बनाया गया जिसमें उसे क्षति भी पहुंची। इस समय वहां विशेष सत्र चल रहा है जिसका सीधा प्रसारण किया जा रहा है। विशेष सुरक्षा बल सैन्य प्रमुख के मुख्यालय की सुरक्षा कर रहे हैं। तख्तापलट का समर्थन कर रहे दर्जनों सैनिकों ने इस्तांबुल में बोसफोरस पुल पर आत्मसमर्पण किया। यह पुल सारी रात इन सैनिकों के कब्जे में रहा। टेलीविजन पर दिखाया गया कि आत्मसमर्पण करने वाले इन सैनिकों ने अपने हाथ सिर के ऊपर उठा रखे थे क्योंकि उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। शुक्रवार की रात से ही इस्तांबुल में अफरा-तफरी मची रही। बड़ी संख्या में लोग तख्तापलट के प्रयास का विरोध करते हुए सड़कों पर उतर आए। हालांकि कुछ लोग सैनिकों का स्वागत करते भी देखे गए। इससे पहले शहर के प्रसिद्ध तकसीम स्क्वायर पर भी सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई जिसमें कई लोग घायल हो गए। ये लोग तख्तापलट के प्रयास का विरोध कर रहे थे। तकसीम स्क्वायर पर ही तीन साल पहले एर्दोगन के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे।