उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के जनक जू क्यू चांग की मृत्यु
उत्तर कोरिया के उस वयोवृद्ध नेता की मौत हो गई है जिसे परमाणु हथियारों के जनक और विकासकर्ता के रूप में जाना जाता था।
वहां की सरकार द्वारा नियंत्रित समाचार एजेंसी केसीएनए न्यूज ने जानकारी दी है कि एकेडेमिशियन और प्रोफेसर 89 वर्षीय जू क्यू चांग का आज सुबह निधन हो गया। इस खबर में आगे कहा गया है कि वे पेंसीटोनिया नामक खून संबंधी बीमारी से पीड़ित थे।
इस समाचार के अनुसार राज्य द्वारा दिए गए राजकीय सम्मान में जू क्यू को एक 'वरिष्ठ क्रांतिकारी' बताया गया जिसने देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
जू उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री भी रह चुके थे, उसी समय मिसाइल और परमाणु हथियारों को विकसित करने का कार्यक्रम शुरु हुआ था।
जू क्यू उत्तर कोरिया के उन लोगों में शामिल थे जिन पर परमाणु कार्यक्रमों के चलते अमेरिका के वित्त विभाग ने साल 2013 में नॉन पॉलिफरेशन सेक्शन्स लगाए थे।
साल 2009 में एक मिसाइल परीक्षण के वक्त जू क्यू उत्तर कोरिया के तत्कालीन सवोच्च नेता के साथ देखे गए थे।
सितंबर 2017 में उत्तर कोरिया ने दावा किया था की उनके देश के पास हाइड्रोजन बम के बना लिया है इसके पास प्रक्षेपण करने की क्षमता है। उत्तर कोरिया द्वारा बम पहले परीक्षण किए गए आम परमाणु बमों की तुलना में हाइड्रोजन बम कहीं ज़्यादा ताक़तवर और विनाशकारी होता है।
दुनिया के लिए सिर दर्द रहा है उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम;
उत्तर कोरिय़ा दक्षिण एशिया में एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास परमाणु हथियार बनाने की क्षमता है और उसने महाविनाश के ये हथियान बनाए हुए हैं। अपने पड़ोसी को लेकर उत्तर कोरिया अक्सर युद्ध की धमकी देता रहता है। उत्तर कोरिया को जहां चीन का समर्थन हासिल है तो वहीं दक्षिण कोरिया की निर्भरता अमेरिका पर है। चीन को छोड़कर उस इलाके में कोई भी अन्य देश उत्तर कोरिया का साथ नहीं देते और लगभग सभी देश परमाणु हथियारों के चलते उसे दुनिया के लिए खतरा मानते हैं।
हालांकि पिछले कुछ महीनों से तनाव में आई है कमी;
इसी वर्ष मई में सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात और उससे पहले दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति से किम जोंग उन की मुलाकात के बाद उत्तर कोरिया ने अपना रुख थोड़ा नरम किया है। इसके बाद उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु हथियारों को नष्ट करने की बातें की जाने लगी हैं। इस सब के परिणाम स्वरूप दुनिया और खासकर पड़ोसी देशों ने कुछ राहत की सांस ली है।